नैनीताल, 7 जनवरी (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने देहरादून के आशन बैराज से निकलने वाली नहरों के ऊपर बने पुलों पर भारी वाहन चलाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद चीफ सेक्रेटरी (सीएस) व सेक्रेटरी लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को स्थिति से अवगत कराने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 8 जनवरी को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि इन पुलों पर भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगी हुई है। लिहाजा सरकार के पास कोई अतिरिक्त मार्ग नहीं होने की वजह से इस रोक को हटाया जाए क्योंकि भारी वाहन स्वामियों को नुकसान हो रहा है। याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि भारी वाहन चलाने के लिए राज्य सरकार के पास एक अतिरिक्त विकल्प है जो 15-16 किलोमीटर दूर से है लेकिन बड़े वाहन स्वामी तेल बचाने की वजह से उस मार्ग का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, न ही राज्य सरकार इन पुलों की मरम्मत कर रही है और न ही नए पुलों का निर्माण कर रही है। इन पुलों की औसतन आयु समाप्त हो चुकी है। ये कभी भी धराशाई हो सकते हैं इसलिए इन पर माल से लदे भारी वाहनों को चलाने की अनुमति नहीं दी जाए।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र एवं वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। देहरादून निवासी रघुनाथ सिंह नेगी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि देहरादून के आशन बैराज से निकलने वाली नहरों के ऊपर 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार ने आवाजाही के लिए कई पुलों का निर्माण किया था। जिनकी भार क्षमता भी नियमित की गई थी लेकिन राज्य सरकार की ओर से खनन की अनुमति देने के बाद इन पुलों पर भारी वाहन चलने लगे। पुलों के भार वहन करने की क्षमता कम होने के कारण ये कभी भी धराशाई हो सकते हैं इसलिए पुलों के ऊपर भारी वाहन व ट्रैफिक पर रोक लगाई जाए और इनकी मरम्मत की जाए। याचिका में कहा कि जांच एजेंसियों ने भी इनका सर्वे किया उसमें भी भारी वाहन चलाने की अनुमति नहीं दी गई। वैसे भी इनकी भार वहन करने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है।
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(Udaipur Kiran) / लता