नई दिल्ली, 7 जनवरी (Udaipur Kiran) । भारत मंडपम में ग्रामीण भारत महोत्सव के तहत आयोजित किए जा रहे सांस्कृतिक प्रस्तुतियां लोगों के लिए आर्कषण का केन्द्र बनी हुई है। पांच दिवसीय हार्वेस्ट : रिद्म्स ऑफ द अर्थ के सम्मोहक
प्रस्तुतियों में दुर्गा स्तुति, काव्यराग, ओडिसी नृत्य, और कर्नाटक की कृतियां शामिल हैं।
इस सांस्कृतिक महोत्सव में ग्रामीण भारत की जीवंत कलात्मक परम्पराओं और समृद्ध सांस्कृतिक पहचानों के प्रदर्शन के साथ इसकी शक्ति और सरलता के सम्मान का सिलसिला जारी है।
भारत मंडपम में चल रहे पांच दिवसीय हार्वेस्ट : रिद्म्स ऑफ द अर्थ के चौथे दिन यानि मंगलवार को आयोजित सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। यह कार्यक्रम नाबार्ड द्वारा वित्तीय सेवा विभाग के तत्वावधान में आयोजित ग्रामीण भारत महोत्सव का हिस्सा है। इसकी संकल्पना सहर के संजीव भार्गव ने की है, जो ग्रामीण भारत की विविधता, लोककथाओं, शिल्प और संगीत परंपराओं का उत्सव मनाता है। कार्यक्रम की शुरुआत पश्चिम बंगाल के मंदिरों की दुर्गा स्तुति की भक्तिमय धुनों से हुई, जिसे पंडित मुकुल मिश्रा ने भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया। इसके बाद, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की चिन्मयी त्रिपाठी एवं जोएल ने काव्यराग के माध्यम से कविता और संगीत का अनोखा संगम पेश किया। दर्शकों ने इस प्रस्तुति को दिल से सराहा।
ओडिशा की शर्मिला बिस्वास और उनके समूह ने ओडिसी नृत्य के माध्यम से लोक संगीत का अद्भुत प्रदर्शन किया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दिन का समापन तमिलनाडु की सुधा रघुरामन और उनके समूह द्वारा कर्नाटिक संगीत की भावपूर्ण प्रस्तुति से हुआ, जिसने भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराई और समृद्धि को जीवंत कर दिया।
हार्वेस्ट ग्रामीण भारत की रचनात्मकता और सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान करते हुए इसे जीवंत मंच प्रदान कर रहा है, जो दर्शकों को भारत की समृद्ध परंपराओं से जोड़ता है।
सहर के संस्थापक और निदेशक संजीव भार्गव ने कहा कि अक्सर लोग पुंग चोलोम या कश्मीरी लोक संगीत जैसे दुर्लभ कला रूपों का अनुभव नहीं कर पाते। सहर का उद्देश्य इन अनदेखी सांस्कृतिक परंपराओं को मंच पर लाना है। हम गहराई से शोध करके कलाकारों का चयन करते हैं, जिनमें उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और मध्य भारत के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। हार्वेस्ट की संकल्पना ग्रामीण भारत महोत्सव की थीम के अनुरूप है, जो ग्रामीण भारत के दैनिक जीवन से जुड़े कला रूपों को प्रदर्शित करता है।
दर्शक 8 जनवरी तक हर रोज शाम साढ़े पांच से रात आठ बजे तक भारत मंडपम के हॉल नंबर 14 में इस शानदार सांस्कृतिक उत्सव का आनंद ले सकते हैं।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी