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आईसीजी के स्वदेशी फास्ट पैेट्रोल वेसल अमूल्य और अक्षय गोवा शिपयार्ड में लॉन्च

आईसीजी के स्वदेशी फास्ट पैट्रोल वेसल  गोवा शिपयार्ड में लॉन्च

– भारतीय तटरक्षक बल के लिए 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री से बनाए गए दोनों जहाज

नई दिल्ली, 5 जनवरी (Udaipur Kiran) । भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के लिए गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) में बनाए गए दो फास्ट पैट्रोल वेसल (एफपीवी) अमूल्य और अक्षय लॉन्च किए गए। ये दोनों एफपीवी जीएसएल के साथ 473 करोड़ रुपये के उस अनुबंध का हिस्सा हैं, जिनके तहत ऐसे आठ जहाज बनाए जा रहे हैं। इनमें से दो जहाज ‘अदम्य’ और ‘अक्षर’ पिछले साल अक्टूबर में लॉन्च किए जा चुके हैं। ये उन्नत एफपीवी सुरक्षा, नियंत्रण और निगरानी की प्राथमिक भूमिका के साथ आईसीजी को अपतटीय संपत्तियों और द्वीप क्षेत्रों की सुरक्षा में मदद करेंगे।

रक्षा मंत्रालय ने 28 मार्च, 2022 को गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के साथ आठ फास्ट पैट्रोल वेसल्स के लिए 473 करोड़ रुपये का अनुबंध किया था। जीएसएल इन सतह प्लेटफार्मों को स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्माण कर रहा है। अनुबंध होने के 45 महीनों के भीतर इन जहाजों की आपूर्ति की जानी है। पिछले साल तत्कालीन रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने 25 अगस्त को चार तटरक्षक फास्ट पैट्रोल जहाजों की कील रखी थी। इनमें से जीएसएल ने 28 अक्टूबर को अत्याधुनिक शिप लिफ्ट सिस्टम का उपयोग करते हुए अदम्य और अक्षर नामक दो जहाजों को एक साथ लॉन्च किया था। इस परियोजना के तहत बनाए जा रहे जहाज 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी हैं।

अनुबंध के अनुसार प्रत्येक एफपीवी की लंबाई 52 मीटर, चौड़ाई 8 मीटर और अधिकतम गति 27 समुद्री मील है। इन जहाजों को अमेरिकी शिपिंग ब्यूरो और भारतीय शिपिंग रजिस्टर के कड़े दोहरे वर्ग प्रमाणन के तहत आईसीजी की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजाइन और निर्मित किया गया है। पहली बार अत्याधुनिक शिप लिफ्ट सिस्टम का उपयोग करते हुए भारतीय तटरक्षक बल के तीव्र गश्ती जहाजों अमूल्य और अक्षय को आज गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार की पत्नी सुश्री वंदना अग्रवाल ने ‘अथर्ववेद’ के मंत्रों के साथ लॉन्च किया।

पोत की प्राथमिक भूमिकाओं में मत्स्य संरक्षण और निगरानी, भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में गश्त, तटीय गश्त, तस्करी विरोधी, समुद्री डकैती विरोधी और खोज और बचाव अभियान शामिल हैं। पोत की एक अन्य भूमिका शत्रुता और युद्ध के समय संचार संपर्क प्रदान करना और काफिलों को सुरक्षा प्रदान करना भी है। इस अवसर पर आईसीजी की सभी जरूरतों को स्वदेशी रूप से पूरा करने के लिए जीएसएल और विभिन्न उद्योगों के प्रयासों की सराहना की गई। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने पर जीएसएल के कर्मचारियों को बधाई देते हुए आईसीजी ने प्रेरित किया कि रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’की ओर कदम सही तरीके से आगे बढ़ाया जाए। समारोह में जीएसएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बृजेश कुमार उपाध्याय और भारतीय नौसेना, आईसीजी, जीएसएल के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

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(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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