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बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक दोनेरिया ने ‘बटोगे तो कटोगे’ नारे का किया समर्थन

बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक दोनेरिया ने ‘बटोगे तो कटोगे’ नारे का किया समर्थन 1
बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक दोनेरिया ने ‘बटोगे तो कटोगे’ नारे का किया समर्थन

भीलवाड़ा, 5 जनवरी (Udaipur Kiran) । बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक नीरज दोनेरिया ने रविवार को भीलवाड़ा के हरी सेवा उदासीन आश्रम में आयोजित विराट त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम के दौरान विवादित नारे ‘बटोगे तो कटोगे’ का समर्थन किया। इस कार्यक्रम में 3100 बजरंगियों को त्रिशूल दीक्षा दिलाई गई। उन्होंने कहा कि यह नारा हिंदू समाज को सावधान करने का प्रतीक है और अब समय आ गया है कि हिंदू समाज संगठित होकर सजग रहे।

कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में नीरज दोनेरिया ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, हर मस्जिद के नीचे मंदिर नहीं हो सकता, लेकिन इस बयान की आड़ में ऐतिहासिक तथ्यों को छिपाया नहीं जा सकता। उन्होंने दावा किया कि पौराणिक काल में मुस्लिम आक्रमणों के दौरान 30 से अधिक मंदिर तोड़े गए थे और उनकी जगह मस्जिदें व मजारें बनाई गईं। नीरज दोनेरिया ने कहा हिंदू समाज इन स्थानों को पुनः प्राप्त करने के लिए न्यायालय का सहारा ले रहा है। हम सीधा बल प्रयोग कर सकते थे, लेकिन हमने न्यायिक प्रक्रिया पर विश्वास जताया है। नीरज दोनेरिया ने हिंदू समाज से सजग रहने और धर्म के संस्कारों एवं मूल्यों का पालन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को जागरूक रहकर अपने धर्मस्थलों की सुरक्षा और पुनः प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।

हरी सेवा उदासीन आश्रम परिसर में आयोजित त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के पदाधिकारी, कार्यकर्ता और सैकड़ों बजरंगी शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता सनातन उदासीन आश्रम के महामंडलेश्वर महंत हंसराम ने की। संत मोहन शरण, बनवारी शरण काटिया बाबा, और अन्य धर्मगुरु भी मौजूद रहे।

त्रिशूल दीक्षा के बाद शहर में एक संचलन निकाला गया, जिसमें रास्ते भर पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में नीरज दोनेरिया ने हिंदू समाज को धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए संगठित रहने का आह्वान किया।

अजमेर शरीफ मामले पर प्रतिक्रिया

अजमेर शरीफ विवाद पर बोलते हुए दोनेरिया ने कहा कि यदि किसी पक्ष के पास साक्ष्य हैं, तो उन्हें न्यायालय में प्रस्तुत करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि विवादित स्थलों पर न्यायालय के आदेश से सर्वे कराया जाना चाहिए ताकि शांति और पारदर्शिता बनी रहे। उन्होंने कहा, अजमेर शरीफ के मामले में दोनों पक्षों को कोर्ट का सम्मान करना चाहिए और प्रशासन को सर्वे सुनिश्चित करना चाहिए। इसमें विवाद जैसी कोई बात नहीं है।

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(Udaipur Kiran) / मूलचंद

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