– कृषि प्रसार कार्यों को देखा, दिये आवश्यक सुझाव
इंदौर, 4 जनवरी (Udaipur Kiran) । भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक डॉ.आरके सिंह ने शनिवार को मध्य प्रदेश प्रवास के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र आलीराजपुर का भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख डॉ.आरके यादव एवं अन्य वैज्ञानिकों के साथ जिले के ग्राम साकड़ी का दौरा किया। जहां उन्होंने किसानों से मोटे एवं अन्य फसलों के उत्पादन एवं उनमें आने वाली समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा की एवं आवश्यक सुझाव देने के साथ-साथ तकनीकी निर्देश भी दिये। इस दौरान उन्होंने मोटे अनाज से बनाये गये व्यंजन के बारे में चर्चा की एवं उनमें ओर कैसे सुधार किया जा सकता है, इस पर मार्गदर्शन दिया।
भ्रमण के दौरान डॉ.आरके सिंह ने कृषि विज्ञान केन्द्र की विभिन्न प्रदर्शन इकाइयों जैसे-गिर गाय पालन, बकरी पालन, कड़कनाथ मुर्गी पालन, शेड-नेट हाउस, फसल संग्रहालय, औषधीय पौधों का बगीचा, आम, अमरूद, चीकू, सीताफल, पेशन फ्रुट, ड्रेगन फ्रूट का बगीचा, सब्जियों की मल्चिंग ड्रिप द्वारा की जा रही खेती, चना एवं मसूर के प्रजनक बीज उत्पादन के प्रक्षेत्र, भंडार गृह, केंचुआं खाद उत्पादन इकाई, तालाब आदि का भ्रमण कर इकाइयों के अच्छे व्यवस्थापन की भूरि-भूरि सराहना की। उन्होंने तालाब के किनारे अच्छे लाभप्रद पौधों का रोपण कर उसमें टूरिज्म की व्यवस्था करने के निर्देश दिये।
इस दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र में कृषकों हेतु कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में लगभग 60 कृषक उपस्थित थे। डॉ. सिंह ने संगोष्ठी के प्रारम्भ में कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख डॉ.आर.के.यादव ने जिले की भौगोलिक एवं फसलों से आच्छादित क्षेत्र आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही जिले की साक्षरता दर कम होने से उन्नत कृषि तकनीकी के प्रचार प्रसार में आने वाली कठिनाईयों के बारे में अवगत कराया।
भारत सरकार की योजनाओं पर कृषकों को दी गई जानकारी
डॉ. आरके सिंह ने अपने उद्बोधन में मध्य प्रदेश एवं भारत सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर वर्षा जल का संरक्षण कर रबी मौसम की फसलों के लिए जल का उपयोग करना, साथ ही ड्रिप मल्चिंग एवं स्प्रिंकलर पद्धति को अपनाकर सब्जी उत्पादन करना, सब्जियों के बीज वितरित कर किसान के खेतों पर प्रदर्शन लगाना एवं उसमें रिजबेड पद्धति के साथ मल्चिंग लगाकर खेती की उन्नत तकनीकी का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने फसलों के उत्पादन एवं नवीन उद्योग लगाने का सुझाव भी दिया। फल वृक्षों को खेतों के मेड़ पर लगाने से अतिरिक्त आय प्राप्त करने एवं नवीन योजनाओं पर सरकार द्वारा जो कार्य किये रहे हैं, इसकी जानकारी दी।
डॉ. सिंह द्वारा आदर्श ग्राम योजनान्तर्गत तिलहन उत्पादन की उन्नत तकनीकी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। तिलहन फसल के रूप में सरसों की प्रजाति रूकमणी का उत्पादन कर बाजार में विक्रय से पूर्व इस उन्नत किस्म के बीज को संरक्षित कर अगले 3 वर्षों तक उस बीज का उपयोग करने हेतु प्रेरित किया। संगोष्ठी में किसान कल्याण एवं कृषि विभाग के उप संचालक एस.एस.चौहान, आत्मा परियोजना संचालक डी.एस.मोर्य, पशुपालन विभाग से डॉ. आर.एल.बेरवा, डी.एस.सी संस्था से मनीष गिरधाणी, विजेन्द्र पंवार एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ.एम.के.गुप्ता, सुदीप तोमर, मुकेश बेनल, राजेश पासी, सुनील वाणी, उमेश कनेश आदि उपस्थित थे।
(Udaipur Kiran) तोमर