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जोधपुर, 4 जनवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश अरूण मोंगा ने ब्रेन ट्यूमर से ग्रस्त एक अध्यापिका ग्रेड तृतीय लेवल-2 को राहत देते हुए उसके समायोजन आदेश पर रोक लगाई है।
शिक्षिका कमला राज पुरोहित वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय डोली राजपुरा जिला बालोतरा में कार्यरत है। शिक्षा विभाग में कार्यरत अध्यापकों को विभाग द्वारा अधिशेष एवं समायोजन के संदर्भ में गत 14 नवंबर 2024 को दिशा निर्देश जारी कर अध्यापकों का समायोजन किया गया। समायोजन करने के दिशा निर्देशों में यह स्पष्ट रूप से अंकित था कि गंभीर बीमारी से ग्रस्त अध्यापकों जिन्हें किडनी, कैंसर, गुर्दा प्रत्यारोपण, हृदय रोग व ब्रेन ट्यूमर है उन्हें इस समायोजन की प्रक्रिया से अलग रखा जाएगा व इनके स्थान पर इनसे कनिष्ठ अध्यापकों का समायोजन किया जाएगा। विभाग द्वारा स्पष्ट दिशा निर्देश के बावजूद भी जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक शिक्षा बालोतरा द्वारा गत सात दिसंबर 2024 को उसका स्थानान्तरण वर्तमान विद्यालय से राजकीय उच्च माध्यमिक, पटाऊ खुर्द कर दिया गया।
विभाग के आदेश से व्यथित होकर उसने एक परिवेदना जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) बालोतरा को प्रस्तुत की एवं अपनी बीमारी के संबंधित सभी दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। प्रार्थी के परिवेदना प्रस्तुत करने पर जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक के स्थान पर प्रारम्भिक शिक्षा (मुख्यालय) बालोतरा द्वारा आदेश में संशोधन करते हुए उसे पहले के स्थान से भी अधिक दूर राजकीय प्राथमिक विद्यालय भीलों की ढाणी कर दिया गया जो कि पूर्व विद्यालय से भी 50 किलोमीटर दूर है। विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर प्रार्थी ने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से एक रिट याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की।
उच्च न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता का यह तर्क था कि शिक्षा विभाग द्वारा गंभीर रोग से ग्रस्ति कर्मचारियों के संदर्भ में स्पष्ट दिशा निर्देश जारी कर यह स्पष्ट किया गया है कि गंभीर रोग से ग्रस्त कर्मचारियों को अधिशेष व इसके पश्चात् समायोजन नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद भी प्रार्थी जो कि ब्रेन ट्यूमर की गम्भीर बीमारी से लम्बे समय से ग्रसित है उसको अधिशेष घोषित कर समयोजित किया गया है जो अनुचित है, तथा उसके परिवेदना प्रस्तुत करने पर उसे ओर अधिक दूर समायोजित किया गया जो विभाग के दिशा निर्देशों व मानवीयता के विरूद्ध है। राजस्थान उच्च न्यायालय ने रिट याचिका को विचारार्थ अंतरिम रूप से स्वीकार करते हुए प्राथमिक शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया व प्राथमिक शिक्षा विभाग के आदेश पर प्रार्थीनी की हद तक रोक लगाई।
(Udaipur Kiran) / सतीश
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