Uttrakhand

परिवर्तनकारी रिट्रीट अनहद नाद द साइलेंट सॉन्ग सफलतापूर्वक संपन्न 

कार्यक्रम के दौरान

हरिद्वार, 2 जनवरी (Udaipur Kiran) । गंगा के तट पर स्थित शांत आश्रम में आयोजित परिवर्तनकारी रिट्रीट अनहद नाद द साइलेंट सॉन्ग सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस अद्भुत आयोजन ने प्रतिभागियों को गहन अंतर्दृष्टि, आंतरिक शांति और दीर्घकालिक व्यक्तिगत विकास का अनुभव प्रदान किया। योग ऑफ साउंड पर आधारित यह 5-दिवसीय रिट्रीट हिमालयी गुरु डॉ. भरत ठाकुर द्वारा डिजाइन और संचालित किया गया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्राचीन और आधुनिक अभ्यासों के माध्यम से शरीर, मन और आत्मा के सामंजस्य को प्राप्त करना था।

इस रिट्रीट के प्रमुख शिक्षण नाद योग पर केंद्रित थे। यह प्राचीन ध्वनि-आधारित योग अभ्यास है, जो प्रतिभागियों को अपने भीतर और ब्रह्मांडीय तरंगों के साथ सामंजस्य स्थापित करने का सशक्त माध्यम प्रदान करता है। प्रतिभागियों ने अनहद नाद की अवधारणा का अध्ययन किया, जिसे योग दर्शन में ब्रह्मांडीय ध्वनि या श्वेत शोर कहा गया है। यह ध्वनि बिना किसी सक्रिय उत्पत्ति के हर जगह मौजूद होती है। भगवद गीता, शिव संहिता और रावण संहिता जैसे शाश्वत ग्रंथों से प्रेरित इन शिक्षाओं ने प्रतिभागियों को उच्चतर चेतना की ओर प्रेरित किया।

योग, ध्यान और कलात्मक अभिव्यक्ति में विश्वप्रसिद्ध डॉ. भरत ठाकुर ने अपनी अद्वितीय ज्ञान और समग्र दृष्टिकोण से सभी उपस्थित लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने योग आसन (आसन), श्वास क्रिया (प्राणायाम), मंत्र जप और ध्यान ध्वनि यात्रा जैसी प्रथाओं को सहजता से एकीकृत किया। उनके नवीन तरीकों ने प्राचीन ज्ञान को आधुनिक समझ के साथ जोड़ा, जिससे सभी उपस्थित लोगों के लिए सार्थक आंतरिक परिवर्तन की सुविधा मिली।

रिट्रीट के बारे में बोलते हुए, डॉ. भरत ठाकुर ने कहा कि मौन की ध्वनि आपके सच्चे स्वरूप का द्वार है। आध्यात्मिक ध्वनियों के कंपन के माध्यम से, हम केवल सुनते ही नहीं, बल्कि अस्तित्व की एकता का अनुभव करते हैं। इस अनुभव में ही हमें मुक्ति प्राप्त होती है। यह आत्मा की यात्रा है, आत्मा के माध्यम से, आत्मा तक।

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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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