Bihar

बिहार सरकार के पदाधिकारियों की अनदेखी से मदरसा शिक्षकों को नहीं मिलीं सुविधाएं : अब्दुल कुदुस 

मदरसा शिक्षकों की पत्रकार वार्ता के दौरन शिक्षकगण

पटना, 30 दिसम्बर (Udaipur Kiran) ।

मदरसा डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन के बैनर तले मदरसों की विभिन्न लंबित समस्याओं के निदान के लिए सोमवार को आईएमए हॉल में आयोजित पत्रकार वार्ता में टीम एमडीओ के अभिभावक अब्दुल कुदुस ने कहा कि मुख्यमंत्री ने मदरसा शिक्षकों को सरकारी विद्यालय के नियोजित शिक्षकों के समान सुविधा उपलब्ध कराने का वादा किया था लेकिन शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों की अनदेखी के कारण अब तक सुविधायें नहीं दी गयी हैं।

अब्दुल कुदुस ने कहा कि वार्षिक वेतन वृद्धि, चिकित्सा भत्ता और आवास भत्ता इत्यादि सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए पटना उच्च न्यायालय के आदेश को भी नजर अंदाज कर दिया गया। शिक्षा विभाग के पदाधिकारी लापरवाही बरतने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। मुख्यमंत्री की छवि को घूमिल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इस विषय पर विशेष ध्यान दें ताकि इन शिक्षकों कि समस्याओं का समाधान हो सके।

महासचिव महताब आलम ने कहा कि मदरसों को अल्पसंख्यक विद्यालय का दर्जा देते हुए मदरसा शिक्षकों एवं कर्मियों को वे सारी सुविधायें उपलब्ध कराई जायें जो विद्यालय के शिक्षक एवं कर्मियों को प्राप्त है। उन्होंने कहा कि मदरसा बोर्ड नियमावली 2022 में संशोधन के लिए मुख्यमंत्री के आदेश पर पूर्व मुख्य सचिव आमीर सुबहानी की निगरानी में मदरसा बोर्ड के अधिकारीयों और मदरसा संघ के जिम्मेदारों की उपस्थिति में नियमावली में संशोधन करके सरकार को सौंपा गया लेकिन अब तक वह नियमावली शिक्षा विभाग की अलमारी की शोभा बनी हुई है।

संयोजक सफी अंसारी ने कहा कि 2459+1 व 339+2 में बाकी बचे 1646 मदरसों कि शिक्षा विभाग के आदेश पर कई बार जांच करायी गयी लेकिन बार-बार जांच के नाम पर इन मदरसों के शिक्षकों को परेशान किया जाता रहा है। अब जबकि एक बार फिर हाई कोर्ट के आदेश पर जांच होकर शिक्षा विभाग को जांच प्रतिवेदन उपलब्ध करा दिया गया है उसके बाद भी इन मदरसों को अनुदान के नहीं दिया जाना चिंताजनक है।

प्रदेश प्रवक्ता मनाजेरुल इस्लाम ने कहा कि 1128 कोटि के मदरसों में बहाल हाफिज का वेतन आदेशपाल से भी कम है, जो शर्मानक है। इस दिशा में मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए अनुरोध किया कि आखिर चूक कहां से है। क्योंकि, इन शिक्षकों के साथ सौतेलापन हो रहा है। दानिस आबेदिन ने कहा कि मदरसों में विज्ञान शिक्षक के पद पर बहाल शिक्षकों को गत कई माह से वेतन भुगतान नहीं हो रहा है। एक तो इनका वेतन काफी कम है जबकि सरकार के दैनिक भत्ता के अनुसार एक मजदूर की मजदुरी 500 रुपये रोजाना के अनुसार 15,000 रुपये महीना होता है लेकिन अफसोस व हैरत के साथ कहना पड़ता कि बीएससी एवं एमएससी डिग्रीधारी साईंस शिक्षक को 6000 रुपये प्रति माह वेतन भुगतान कर सरकार इनका भ‌द्दा मजाक उड़ा रही है।

इस मौके पर मुबस्सिर आलम, अलताफ हुसैन, कौसर रब्बानी, मोहम्मद अजमल, रिजवानुल हक, मो. एहसानुल्लाह, खालीद सैफुल्लाह, उमर फारुक नदवी, मुफरान आलम, परवेज आलम, अफताब आलम, इमरान आलम, कारी जमशेद आलम तथा अन्य सैकड़ों शिक्षकगण उपस्थित थे।

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(Udaipur Kiran) / गोविंद चौधरी

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