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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का गुरुग्राम से रहा पुराना नाता

फोटो नंबर-01: गांव कार्टरपुरी के पुराने व नए साइन बोर्ड।
फोटो नंबर-02: गुरुग्राम के गांव कार्टरपुरी (तत्कालीन गांव दौलतपुर नसीराबाद) गांव में वर्ष 1978 में पत्नी रोजलीन कार्टर के साथ भ्रमण करते अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर।
फोटो नंबर-03: गुरुग्राम के गांव कार्टरपुरी (तत्कालीन गांव दौलतपुर नसीराबाद) के पंचायत घर में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर व हरियाणवी परिधान पहने उनकी पत्नी रोजलीन कार्टर का स्वागत करते ग्रामीण।

– तत्कालीन सरकार ने दौलतपुर नसीराबाद का नाम बदल कर रखा कार्टरपुरी

– कार्टर के साै वर्ष की उम्र में निधन से कार्टरपुरी के ग्रामीणों ने भी जताया दुख

गुरुग्राम, 30 दिसंबर (Udaipur Kiran) । अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का गुरुग्राम से पुराना और गहरा नाता रहा है। वर्ष 1978 में जब वे भारत दौरे पर आए थे, तब वे अपनी मां लिटियन कार्टर तथा पत्नी रोजलीन कार्टर के साथ यहां के गांव दौलतपुर नसीराबाद भी आए थे। इस गांव से उनकी मां का पुराना नाता था। उनके दौरे के बाद हरियाणा सरकार ने दौलतपुर नसीराबाद गांव का नाम बदलकर उनके नाम से मिलता हुआ नाम कार्टरपुरी रख दिया था।

सोमवार को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर के निधन की खबर सुनकर कार्टरपुरी (दौलतपुर नसीराबाद) के ग्रामीण भी भावुक हो गए। तत्कालीन गांव दौलतपुर नसीराबाद (वर्तमान गांव कार्टरपुरी) पहुंचने पर गांव के लोगों ने वर्ष 1978 में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर व उनकी मां लिटियन कार्टर तथा पत्नी रोजलीन कार्टर का यहां आने पर हरियाणवी अंदाज में खास स्वागत किया था। उस स्वागत काे जिमी कार्टर ताउम्र नहीं भूले। परिवार के साथ जिमी कार्टर दौलतपुर नसीराबाद की गलियों में घंटों तक घूमे थे। एक-एक ग्रामीण से उन्हें पूरी तन्मयता से मुलाकात की थी। गांव की महिलाओं ने उनकी पत्नी रोजलीन कार्टर को हरियाणवी पोशाक कुर्ता-दामण उपहार में दिया था। उसी पोशाक को पहनकर रोजलीन जिमी कार्टर के साथ गांव में घूमीं थीं।

जिमी कार्टर की नर्सिंग ऑफिसर मां के जताई थी गांव आने की इच्छा

दरअसल, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर की मां लिटियन कार्टर नर्सिंग ऑफिसर थीं। वे जब यहां घूमने आती थीं तो गांव में जेलदार सरफराज के घर पर रुकती थीं। उस समय जिमी कार्टर उनके गर्भ में थे। जब दूसरा विश्व युद्ध हुआ तो जिमी कार्टर की मां लिटियन कार्टर मुंबई चली गई थीं। उन्होंने मुंबई के जसलोक अस्पताल में नौकरी की। वर्ष 1947 में हुए दंगों के दौरान वे अमेरिका चली गईं। जिमी कार्टर के जन्म के बाद लिटियन कार्टर ने उनके समझदार होने पर गांव दौलतपुर नसीराबाद के बारे में बताया। गांव के लोगों की तारीफ अपनी मां के मुंह से सुनने के बाद जिमी कार्टर जब अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो उनका भारत दौरा तय हुआ। उनके राष्ट्रपति बनने पर इस गांव में भी ग्रामीणों ने खुशी मनाई थी। क्योंकि यहां के ग्रामीण जिमी कार्टर को अपना बेटा मानते थे। राष्ट्रपति बनने के बाद भारत दौरे के दौरान जिमी कार्टर परिवार के साथ गांव दौलतपुर नसीराबाद भी आए।

मोरारजी ने दिया था कार्टरपुरी नाम रखने का सुझावअमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर भारत में आपातकाल खत्म होने के बाद 1978 में भारत के दाैरे पर आए थे। कार्टर ने गुरुग्राम के इस गांव का दाैरा किया था। इसके बाद चर्चा में आए इस गांव का नाम बदलकर कार्टरपुरी रखने का सुझाव तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने दिया था। इस पर तत्कालीन हरियाणा सरकार ने दौलतपुर नसीराबाद गांव का नाम बदलकर कार्टरपुरी रख दिया था। ग्रामीण बताते हैं कि उस समय गांव को मॉडल गांव बनाने की भी बात कही गई थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।

जब तक राष्ट्रपति रहे, जब तक करते रहे पत्राचार

गांव के रमेश यादव व मलखान सिंह बताते हैं कि जिमी कार्टर उनके गांव से जब वापस अमेरिका गए तो वहां जाकर भी उन्हें ग्रामीणों की याद रही। जब तक वे अमेरिका के राष्ट्रपति रहे, तब तक अमेरिका से गांव में पत्र भेजते रहे। अमेरिकी दूतावास से पत्र इस गांव में आते थे। उसके बाद पत्राचार नहीं हुआ। राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने गांव में एक दूरबीन और एक टेलीविजन भी भेजा था। गांव के पंचायत घर में वह टीवी लगाया गया, जिस पर ग्रामीण कार्यक्रम देखते थे। जिमी कार्टर के आने के बाद गांव को मॉडल गांव बनाने की भी घोषणा हुई थी, लेकिन समय के साथ लाेग सब भूले गए और गांव आज भी सुविधाओं के तरस रहा है।

(Udaipur Kiran) हरियाणा

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