जयपुर, 29 दिसंबर (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भजनलाल सरकार द्वारा नए जिलों को खत्म करने के फैसले की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने पूरी तैयारी के बाद 17 नए जिलों की घोषणा की थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने राजनीतिक दबाव में एक बड़ा मौका खो दिया।
गहलोत ने सिविल लाइंस स्थित अपने आवास पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, हमने छोटे जिलों के माध्यम से सरकारी योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करने की योजना बनाई थी। छोटे जिलों में प्रशासन अधिक प्रभावी और योजनाओं का क्रियान्वयन आसान होता है।
गहलोत ने भैरोसिंह शेखावत के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि जब उन्होंने जिले बनाए, तब कौनसा बुनियादी ढांचा तैयार था? उन्होंने तर्क दिया कि भारत में कहीं भी नया जिला बनाने के लिए तुरंत कलेक्टर और एसपी कार्यालय नहीं बनाए जाते। पहले किराए पर इमारतें ली जाती हैं और बाद में स्थायी भवन बनाए जाते हैं।
गहलोत ने पड़ोसी राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में हमारी तुलना में ज्यादा जिले हैं। एमपी ने हाल ही में दो और जिले बनाए, जबकि यहां एक साल तक कमेटी की रिपोर्ट का बहाना बनाया गया।
गहलोत ने जिलों की समीक्षा कमेटी के चेयरमैन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह भाजपा से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, कमेटी के चेयरमैन का बीजेपी में जाना यह साबित करता है कि यह सारा कुछ भाजपा के इशारे पर हुआ।
गहलोत ने कहा कि कुछ रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स ने उनके फैसले को अव्यवहारिक बताया, लेकिन यह बयान राजनीति से प्रेरित हो सकता है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने इन अफसरों को कई मौके दिए थे। गहलोत ने पूर्व मुख्य सचिव डीबी गुप्ता का नाम लेते हुए कहा कि उन्हें मुख्य सूचना आयुक्त बनाया गया था।
गहलोत ने कहा कि भजनलाल सरकार खींचतान से ग्रसित है। उन्होंने किरोड़ीलाल मीणा का उदाहरण देते हुए कहा, किरोड़ीलाल ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन सरकार ने उसे स्वीकार नहीं किया क्योंकि उनके बिना सरकार नहीं चल सकती।
गहलोत ने कहा कि भजनलाल सरकार जनता के सवालों और जरूरतों का जवाब देने में नाकाम रही है। उनका यह फैसला राजस्थान की प्रगति में बाधा डालने वाला है।
(Udaipur Kiran) / रोहित