RAJASTHAN

जो जिले मापदंड में नहीं थे उन्हें हटाया : जलदाय मंत्री

जोधपुर में पत्रकाराें से बातचीत करते जलदाय मंत्री कन्हैयालाल।

जयपुर, 29 दिसंबर (Udaipur Kiran) । जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी रविवार को जल जीवन मिशन की बैठक लेने के लिए जोधपुर पहुंचे। इस दौरान पत्रकारों से उन्होंने जिलों को लेकर हुए फैसले पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि जो जिले मापदंड में नहीं थे उन्हें हटाया गया। हमने 2011 की जनगणना के अनुसार जो मापदंड है उसके आधार पर जिलों को लेकर निर्णय किया है। जिन जिलों में एसडीएम के करने लायक काम भी नहीं है वहां जिला कलेक्टर कैसे काम कर पाएगा? इसलिए हमने बिना किसी भेदभाव के ऐसे जिले हटवाए हैं।

उन्हाेंने कहा कि देश में औसत जिलों का एवरेज 20 लाख की आबादी है। हम इसका 50 प्रतिशत कम कर सकते हैं। लेकिन तीन-तीन लाख की आबादी पर जिले कैसे बना सकते हैं। इसलिए जितने भी जिले हटे हैं वो मापदंड पूरा नहीं कर रहे थे। आगे भी कोई भी जिले बने या इन जिलों को हटाने को लेकर कहीं पर भी विरोध होता है तो ऐसे गांव जो 10 लाख की आबादी से जुड़ना चाहते हैं उन्हें लेकर विचार किया जा सकता है।

चौधरी ने कहा कि जल जीवन मिशन को लेकर जो काम राजस्थान में मार्च 2024 तक पूरा होना था उसे हम समय पर पूरा नहीं कर पाए। पूरे भारत में सब जगह काम हो गया लेकिन राजस्थान में नहीं कर पाए। हमारे जितने भी पुराने ट्यूबवेल, बोरवेल, हैडपंप हैं उन्हें दुरुस्त करवाने का काम किया जा रहा है। पांच साल पुराने जो भी है हैडपंप हैं उनकी डिटेल मंगवाई जा रही है। कहीं पर पानी लीकेज हो रहा है, कई पर पानी की चोरियां की जा रही है। इन सभी पर मीटिंग में चर्चा होगी।

उन्होंने कहा कि जहां भी खुले बोरवेल है उससे भविष्य में हादसे नहीं हो इसको लेकर निर्देशित किया गया है। कई जगहों पर प्राइवेट काश्तकार भी ट्यूबवेल खुदवाता है, उसे भी चेक करवाया जाएगा कि उसमें परमिशन ली है या नहीं।

चौधरी ने कहा कि हर घर कनेक्शन करने से पहले हमें सोर्स को ढूंढना था, पानी उठाने के सिस्टम डवलप करने थे, फिल्टर प्लांट बनाने चाहिए थे। राइजिंग लाइन बनने के बाद हमें हर घर कनेक्शन देने चाहिए थे लेकिन समस्या यह हो गई कि हर जगह पर घर-घर कनेक्शन तो कर दिए गए लेकिन जहां से पानी उठाने की व्यवस्था करनी थी, वह नहीं कर पाए। अब उन पर काम कर रहे हैं। उनके प्रोजेक्ट बना रहे हैं, टेंडर निकाल रहे हैं। इस पूरे काम में दाे से तीन साल लगेंगे। जब तक उपभोक्ता को पानी कैसे मिले, इस पर काम किया जा रहा है।

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(Udaipur Kiran) / रोहित

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