Bihar

जिला प्रशासन के प्रस्ताव को बीपीएससी अभ्यर्थियों ने ठुकराया, मुख्यमंत्री से मिलने पर अड़े

पटना, 29 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं संयुक्त प्रारम्भिक परीक्षा को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस परीक्षा को रद्द करने की मांग पर अड़े अभ्यर्थियों ने अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने की जिद्द पकड़ ली है। प्रदर्शनकारी छात्रों ने आयोग के अधिकारियों के साथ पटना में बातचीत के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। यह प्रस्ताव जिला प्रशासन की ओर से आया था।

प्रदर्शनकारी छात्रों को जिला प्रशासन की ओर से डीएम ने पेशकश की थी। डीएम ने बताया कि हमने प्रदर्शनकारी छात्रों को बीपीएससी अधिकारियों से मिलने का प्रस्ताव दिया था ताकि वह अपनी शिकायतों को आयोग के समक्ष रख सकें लेकिन छात्रों की ओर से उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया है और यह मांग उठाई है कि उन्हें मुख्यमंत्री से मिलना है लेकिन यह संभव नहीं है। क्योंकि, बीपीएससी एक स्वतंत्र निकाय है और इसमें सरकार की कोई दखलअंदाजी नहीं है।

उल्लेखनीय है कि बीपीएससी की 70वीं संयुक्त प्रारम्भिक परीक्षा 13 दिसम्बर को आयोजित हुई थी। परीक्षा वाले दिन पटना के एक सेंटर पर हंगामा हुआ। इस दौरान प्रश्न पत्र भी फाड़े गए। हालांकि, उस हंगामे के बीच परीक्षा आयोजित की गई थी। बाद में उस सेंटर पर परीक्षा को रद्द कर दिया गया और 4 जनवरी को उसी सेंटर पर दोबारा परीक्षा कराने का फैसला लिया गया है लेकिन अब छात्रों ने पूरी परीक्षा को रद्द करने की मांग की है। इसको लेकर पटना में बीपीएससी कार्यालय के बाहर उनका विरोध-प्रदर्शन भी जारी है।

छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बीच आयोग ने यह साफ कर दिया है कि परीक्षा को रद्द किए जाने का सवाल ही नहीं उठता। आयोग का कहना है कि यह प्रदर्शन प्रायोजित है। आयोग के इस स्पष्टीकरण के बाद भी छात्र अपनी मांग पर अड़े हैं। रविवार को जन सुराज संस्था के संस्थापक प्रशांत किशोर द्वारा बुलाई गई ‘छात्र संसद’ (छात्रों की सभा) को जिला मजिस्ट्रेट की ओर से अनुमति नहीं मिली है। जिला प्रशासन ने चेतावनी दी है कि आगे से विरोध-प्रदर्शन में किसी भी तरह से शामिल पाए जाने वाले कोचिंग संस्थान मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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(Udaipur Kiran) / गोविंद चौधरी

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