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कानपुर, 28 दिसंबर (Udaipur Kiran) । अच्छी फसल लेने के लिए मृदा यानी मिट्टी का उपजाऊ होना सबसे अहम होता है। इसके बाद बीज, खाद, दवाइयां व अन्य चीजें आती हैं। वहीं देखा जा रहा है कि किसान भाई फसल अवशेष को जलाकर मिट्टी की उर्वरता को प्रभावित कर दे रहे हैं। ऐसे में किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि अपनी आय दोगुनी करने के लिए सबसे पहले फसल अवशेष का प्रबंधन वैज्ञानिक तरीके से करें ताकि मृदा में पोषक तत्व बने रहें। यह बातें शनिवार को सीएसए के मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने कही।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर द्वारा कानपुर देहात स्थित लबचंद्र विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में फसल अवशेष प्रबंधन योजना मोबिलाइजेशन ऑफ स्टूडेन्ट कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें छात्र छात्राओं को फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी दी गयी। मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान ने बताया कि विद्यालय में बच्चों को जागरूक करने के लिए प्रश्नोतरी पोस्टर एवं निबंध प्रतियोगिता हुई। डॉ. खान ने छात्र-छात्राओं को बताया कि फसल अवशेष कम्पोष्ट खाद बनाने में सहायक है जो मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक क्रियाओं में लाभदायक है। कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉ. राजेश राय ने छात्र-छात्राओं को बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन हेतु हैप्पी सी सुपरसीडर मल्चर रोलर सहित अन्य कृषि यंत्र हैं, जो फसल अवशेष का प्रबंध करते हैं। कार्यक्रम में प्रबंधक रामसनेही पाल, गौरव शुक्ला, शुभम् यादव सहित अध्यापक अर्पित पाल, विनोदिनी, निधि सहित अन्य अध्यापकों ने हिस्सा लिया।
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(Udaipur Kiran) / Rohit Kashyap
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