Madhya Pradesh

मुख्यमंत्री डाॅ यादव ने पेसा कानून के समस्त दावों का समय-सीमा में निराकरण करने के दिए निर्देश  

मुख्यमंत्री डाॅ यादव ने पेसा कानून के समस्त दावों का समय-सीमा में निराकरण करने के दिए निर्देश

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई वन अधिकार अधिनियम और पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन पर गठित टास्क फोर्स की बैठक

भाेपाल, 28 दिसंबर (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि पेसा कानून में प्रस्तुत समस्त दावों का निराकरण समय-सीमा निर्धारित कर प्राथमिकता पर किया जाए, आगामी कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में इसकी समीक्षा की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पेसा अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जनजातीय कार्य विभाग में पेसा सेल गठित करने पर सहमति प्रदान की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुरूप धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के अंतर्गत विभिन्न हितग्राहीमूलक योजनाओं में समस्त पात्र भाई-बहनों का शत-प्रतिशत सेचुरेशन सुनिश्चित किया जाए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार काे समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) में वन अधिकार अधिनियम और पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए गठित टास्क फोर्स की कार्यकारी समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश तेंदूपत्ते का बड़ा उत्पादक है, लेकिन इसका व्यावसायिक उपयोग अन्य राज्यों में होता है। तेंदूपत्ता संग्राहकों और इससे जुड़े विभिन्न व्यवसायों को प्रदेश में ही प्रोत्साहित करने एवं जनजातीय भाई-बहनों को इसके लाभ दिलवाने के लिए रणनीति बनाई जाए।

वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित करने पर दिए गए दिशा-निर्देश

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित करने के लिए राज्य शासन द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन अनुसार ग्रामवासियों को रिकार्ड ऑफ राइट्स शीघ्र प्रदानकिए जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जिला स्तर पर वन, राजस्व और जनजातीय कार्य विभाग के अधिकारी समन्वय से कार्य करें। प्रदेश में विद्यमान 925 वन ग्रामों में से 827 को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया है। इनमें से 792 को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित कर अब तक 790 ग्रामों का गजट नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है।

जीवन स्तर में सुधार और वन क्षेत्रों का संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जनजातीय भाई-बहनों के जीवन स्तर में सुधार और वन क्षेत्रों के संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। सामुदायिक वन संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन में स्थानीय निवासियों की सहभागिता सुनिश्चित की जाए, इसके साथ ही सामाजिक संस्थाओं को जोड़ते हुए गतिविधियों का विस्तार किया जाए। बैठक में मध्यप्रदेश वन अधिकार अनिधियम के प्रावधानों और उसके क्रियान्वयन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हुई। साथ ही कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में विधि विशेषज्ञ डॉ. मिलिंद दांडेकर, विषय विशेषज्ञ डॉ. शरद लेले, मिलिंद थत्ते, पूर्व विधायक भगत सिंह नेताम, राम दांगोरे, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य गुलशन बामरा सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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(Udaipur Kiran) / नेहा पांडे

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