Bihar

प्रो. मायानंद मिश्र की पुण्य स्मृति में संगोष्ठी सह सगर राति दीप जरय कार्यक्रम आयोजित

जरय कार्यक्रम

सहरसा, 28 दिसंबर (Udaipur Kiran) ।

मैथिली साहित्य के महान विभूति साहित्य अकादमी से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. मायानंद मिश्र की पुण्य स्मृति में उनकी जीवनी, लेखनी और भाषायी आन्दोलन से संबंधित चर्चा एवं विमर्श हेतु शनिवार को विद्यापति नगर स्थित विवाह भवन मे ‘मयानंद मिश्र स्मृति उत्सव’ और मैथिली के नामवर साहित्यकारों की उपस्थिति में आयोजित होनेवाली ‘सगर राति दीप जरय’ का सफलतापुर्वक आयोजन का शुभारंभ किया गया।

‘नवजागरण मंच’ एवं ‘देवता निभा राजनारायण फाउंडेशन’ के संयुक्त तत्वावधान मे प्रो. कुलानंद झा की अध्यक्षता में संपन्न हुई।इस मौके पर मंचासीन अतिथि पूर्व कुलपति दो आरसीपी रमन डॉक्टर पीसी खां, डॉक्टर के एस ओझा, ईस्ट एंड वेस्ट के अध्यक्ष डा रजनीश रंजन, डॉ राम चैतन्य धीरज, विक्रमादित्य खां, डा नारायण झा, डीएन शाह, डॉ अमोल राय को पाग चादर देकर सम्मानित किया गया।तत्पश्चात अतिथियों द्वारा माया बाबू के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।

किसलय कृष्ण के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. महेंद्र द्वारा प्रो. मायानंद मिश्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से संबंधित पुस्तक ‘तोहर सरिस’ का लोकार्पण किया गया।कार्यक्रम में सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, दरभंगा, एवं मधुबनी से आने वाले मैथिली साहित्यकारों में प्रमुख है।वही साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कथाकार जगदीश प्रसाद मंडल, मैथिली परिषद के महासचिव नारायण यादव, साहित्यकार रामेश्वर प्रसाद मंडल, चंद्र मोहन झा, पल्लवी मंडल, अंजली ठाकुर, प्रो. रेनू झा, दीपिका, शशिप्रभा अंजू झा ज्योति मिश्रा द्वारा कविता पाठ कर कर माया बाबू को श्रद्धांजलि दी।

इस अवसर पर मिथिला के प्रसिद्ध गायक नव नंबर नंद नवल की जोड़ी ने मिथिला वर्णन एवं मैथिली गीत के माध्यम से श्रोताओं को सराबोर किया। प्रो. मायानंद मिश्र के मैथिली साहित्य में योगदान पर चर्चा एवं विमर्श करते हुए चेयरमैन डॉ रजनीश रंजन ने कहा कि प्रोफेसर माया नंद मिश्र मैथिली साहित्य के युग दृष्टा युग श्रष्टा मैथिली के उन्ननायक एवं पथ प्रदर्शक थे। उन्होंने वर्तमान में मैथिली की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए इसके संवर्धन एवं संरक्षण के लिए सभी से सहयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पंजाब बंगाल तमिलनाडु गुजरात असम उड़ीसा कर्नाटक केरल एवं महाराष्ट्र में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को स्थानीय मातृभाषा पढ़ने के लिए विवश किया जाता है।उसी प्रकार बिहार की मातृभाषा मैथिली में भी पढ़ाई आवश्यक है। मैथिली भाषा साहित्य एवं मिथिलांचल के समग्र विकास हेतु साहित्यिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों में सभी जातियों और संप्रदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है।

(Udaipur Kiran) / अजय कुमार

Most Popular

To Top