मंडी, 28 दिसंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान व रंगमंडल द्वारा साल के आखिर एवं नए साल के स्वागत में नाटक खामोश अदालत जारी है का मंचन किया गया। इस नाटक का निर्देशन सुरेश शर्मा द्वारा किया गया। यह नाटक मराठी नाटककार विजय तेंदुलकर का सबसे प्रसिद्ध नाटक है। नाटक के भीतर चलते इस नाटक की मुख्य पात्र लीला बणारे की जीवन कथा जैसे-जैसे खुलती है।
इस नाटक की कहानी समाज के सवालों के कटघरे में खड़ी हर उस औरत की दास्तां है। जिसे समाज के ठेकेदार नैतिकता और परंपरा की आड़ में सदैव ही दोषी मान कर आरोपित करते हैं। इस नाटक के माध्यम से हमें हमारे आसपास के समाज, उसकी सफेद सतह के नीचे सक्रिय स्याह मर्दाना यौन कुंठाओं और स्त्री के दमन को कई तरह उजागर होती जाती है। नाटक का सर्वाधिक आकर्षक पहलू इसका फॉर्म माना जाता है। एक अदालत के दृश्य में मानव नियति की विडंबनाओ के उदघाटन को जिस प्रकार नाटककार करने साधा है वह अद्भुत है। यही कारण है कि रंग कर्मा हो, नाटयलोचक हो या दर्शक, हर किसी के लिए यह नाटक भारतीय रंगमंच के इतिहास में मील का एक पत्थर है।
इस नाटक की शुरूआत एक खली प्रेक्षागृह में कलाकारों के आगमन के साथ होती है। वे यूं ही मजाक-मजाक में एक नाटक खेलते हैं जिसमें कोई वकील, कोई जज, कोई गवाह और कोई आरोपी बन जाता है। कहने को तो यह सब झूठमूठ का नाटक था मगर समाज के गंभीर सवालों को उठाता है। जिसमें एक अकेली औरत के खिलाफ कई गवाह खड़े हो जाते हैं यहां तक कि जज महोदय भी अपना आसन छोडक़र कटघरे में आकर गवाही देते हैं। मगर उस अबला नारी के पक्ष का हर गवाह गैर हाजिर है। अंतत: उसें दोषी करार दे दिया जाता है। हालांकि, वह औरत अपना पक्ष अदालत में रखती है, मगर उसके मामले में अदालत खामोश रहती है।
इस नाटक की मुख्य भूमिका में लीला बनारे सृष्टि, सुखात्मे विक्रांत, काशीकर करण, श्रीमती काशीकर निभा, कर्णिक आकाश, पोंक्षे जावेद, रोकड़े सचिन, सामंत प्रहलाद के अतिरिक्त प्रकाश व्यवस्था व्योम व संगीत कश्मीर सिंह ने दिया इसके अतिरिक्त सहयोग सुमन, पूजा, अर्चना व बलवंत सिंह द्वारा दिया गया। प्रस्तुति प्रबंधन सीमा शर्मा द्वारा किया गया।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा