Uttar Pradesh

 वर्ष 2024 में समाजवादी पार्टी के खुशी, गम और आंसू का हुआ संगम 

सायकिल पर सवार समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव

लखनऊ, 28 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश की सत्ता से समाजवादी पार्टी वर्ष 2017 से बाहर है। दो बार निरंतर विधानसभा चुनावों में हार के बाद समाजवादी पार्टी विपक्ष की भूमिका निभा रही है। समाजवादी पार्टी के लिए वर्ष 2024 की शुरुआत तो खुशियों से भरी थी, जिसे उपचुनाव के परिणाम आने के बाद गम में बदलते देर नहीं लगी। वहीं परिणाम पर कांग्रेस के व्यंग्य बाणों ने समाजवादी नेताओं के आंसू भी निकाल ​दिये।

वर्ष 2024 की शुरुआत में उत्तर प्रदेश सहित देश में लोकसभा चुनाव सम्पन्न हुए। इस लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सैंतीस सीटें जीती। वर्ष 2019 में पांच सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी के सैंतीस लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने पर सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं सहित पूरे देश में यह चर्चा का विषय बना।

धमाकेदार जीत के बाद संसद में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का सांसद के रुप में प्रवेश हुआ। अखिलेश यादव अपने ​चिरपरिचित अंदाज में संसद में पुरजोर तरीके से उत्तर प्रदेश के मुद्दे उठाने लगे। ऐसे में कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदली और उत्तर प्रदेश में अपनी साख बचाने के लिए समाजवादी पार्टी से दूरी बनाने लगी। इसका परिणाम रहा कि उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को एक भी सीट लड़ने के लिए नहीं दिया। लोकसभा की जीत पर फूली हुई समाजवादी पार्टी अकेले दम पर नौ विधानसभा सीटों पर उतरी और अंत में दो ही सीट जीत पाने में सफल हुई।

उपचुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी को सात विधानसभा सीटों पर मिली जीत में जनता का पूरा आशीर्वाद था। वहीं समाजवादी पार्टी केवल दो सीटें करहल और सीसामऊ ही जीत पायी। उपचुनाव के परिणाम पर शीर्ष नेताओं ने इसे ईवीएम की गड़बड़ी से जोड़कर बताया। इसके बाद पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने के लिए लखनऊ जैसे प्रमुख स्थान पर वर्ष 2027 में सत्ता का सत्ताधीश बनने की होर्डिंग लगायी गयी।

वर्ष 2024 में विधानसभा सत्रों की शुरुआत से पहले धरना प्रदर्शन करने वाले समाजवादी पार्टी के पास मुद्दों की कमी स्पष्ट दिखायी पड़ रही है। उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी को लेकर नौजवानों की बेरोजगारी, पेपर आउट जैसे मुद्दें समाजवादी पार्टी के पुराने नेताओं ने बढ़चढ़ कर उठाये है। वहीं पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने एक्स सहित सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सड़कों पर गड्ढ़े, अपराध की घटनाएं, दो साड़ की लड़ाई को आजतक दिखाते रहे है। जिसका भी कुछ खास परिणाम उपचुनाव में देखने को नहीं मिला है।

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(Udaipur Kiran) / श.चन्द्र

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