कानपुर, 26 दिसंबर (Udaipur Kiran) । फसलों के अवशेषों को आग लगाने से हमारे जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को रोकने व मिट्टी को उपजाऊ बनाने से लेकर फसलों से जुड़ी तमाम तरह की जानकारियां सीएसए द्वारा आयोजित कार्यक्रम के जरिये स्कूल के छात्र-छात्राओं को देते हुए जागरूक किया गया।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन योजना अंतर्गत स्कूल स्तरीय छात्र छात्राओं करने के लिए शिवली के दिलीप नगर स्थित जय जागेश्वर इंटर कॉलेज जागरूकता कार्यक्रम में आयोजित किया गया। जिसमें मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान ने छात्र-छात्राओं को बताया कि, फसल अवशेषों को आग लगा देने से उपजी हानिकारक गैसों से मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्हें सांस लेने में तकलीफ तथा आंखों में जलन होने लगती है। इसी एक टन पुआल को यदि मिट्टी में मिला दिया जाए तो 20 से 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 से 70 किलोग्राम पोटाश, 5 से 7 किलोग्राम सल्फर तथा 600 किलोग्राम ऑर्गेनिक कार्बन मिट्टी को मिल जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए स्ट्रॉ रीपर, स्ट्रॉ बेलर, हैप्पी सीडर तथा मल्चर आदि यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
पशुपालन वैज्ञानिक डॉक्टर शशिकांत ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसें उत्सर्जित होती है जिससे वातावरण प्रदूषित होता है। इस मौके पर शुभम यादव, गौरव शुक्ला, रमाशंकर शुक्ल, रजत कटियार एवं प्रधानाचार्य अपर्णा तिवारी सहित सभी छात्र छात्राएं मौजूद रहे।
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(Udaipur Kiran) / Rohit Kashyap