Uttar Pradesh

समाज में अज्ञानी व भटके हुए लोगों के कारण विकट परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं:रमेश

वीर बाल दिवस में आरएसएस के पदाधिकारी: फोटो बच्चा गुप्ता

आरएसएस ने मनाया वीर बाल दिवस,गुरु गोविन्द सिंह जी के चार साहबजादों के बलिदान को स्मरण किया

वाराणसी,26 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । महमूरगंज स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यालय केशव निलय में गुरूवार को वीर बाल दिवस मनाया गया। सिख धर्म के गुरु गोविन्द सिंह के चार साहबजादों के बलिदान दिवस पर शबद कीर्तन भी हुआ। इस अवसर पर संघ के काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश ने कहा कि आज हम अपने पूर्वजों के बलिदान के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए उनका स्मरण कर रहे हैं। अपने आने वाली पीढ़ी को यह बताना जरुरी है कि समाज में अज्ञानी व भटके हुए लोगों के कारण विकट परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं। यदि गंगू ने धोखा न दिया होता तो वीर बालक शहीद न हुए होते।

उन्होंने कहा कि गुरु गोविन्द सिंह के दो साहबजादें अजीत सिंह एवं जुझार सिंह धर्म की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हुए। उनके अन्य दो साहबजादों जोरावर एवं फतेह सिंह को इस्लाम न स्वीकार करने के कारण सरहिन्द की दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया। काजी ने अन्तिम बार बच्चों को इस्लाम स्वीकार करने को कहा तो साहबजादों ने मुस्कुराकर साहसपूर्ण उत्तर दिया ‘‘हम इस्लाम स्वीकार नहीं करेंगे। संसार की कोई भी शक्ति हमें अपने धर्म से नहीं डिगा सकती। हमारा निश्चय अटल है। प्रांत प्रचारक ने कहा कि जैसे जैसे दीवार ऊंची हो रही थी। सभी एकत्रित लोग नन्हें बालकों की वीरता देख आश्चर्य कर रहे थे। बड़े भाई जोरावर सिंह ने अन्तिम बार अपने छोटे भाई फतेह सिंह की ओर देखा। जोरावर सिंह की आंखे भर आई। फतेह सिंह बडे़ भाई जोरावर की आंखों में आंसू देखकर विचलित हो गया। उसने कहा ‘‘क्यों वीर जी, आपकी आंखों में ये आंसू ? क्या बलिदान से डर रहे हों ?’’ जोरावर ने कहा इस संसार में तुमसे पहले मैं आया लेकिन धर्म के लिए मुझसे पहले तुम्हारा बलिदान हो रहा है।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता सरदार हरमिन्दर सिंह ने कहा कि भारतीय इतिहास व परम्परा विश्व की महानतम संस्कृतियों और भारतीय इतिहास व परम्परा विश्व की महानतम संस्कृतियों और सभ्यताओं में से एक है। पुण्यभूमि भारत में प्राचीन काल से महापुरुषों, साधु महात्माओं, विचारकों व गुरुओं ने अपने अनूठे ढंग से मानव समाज को सदगुण युक्त आदर्श जीवन जीने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि भारत की इस पावन धरा पर एक ओर अध्यात्म और भक्ति का संदेश गूँजा तो दूसरी ओर देश प्रेमी, धर्मनिष्ठ महामानवों ने जनसमाज में वीरत्व, शौर्य और त्याग जैसे गुणों को रोपित करते हुये उन्हें धर्म व राष्ट्र की रक्षा हेतु अपने प्राण तक न्योछावर करने का साहस भी दिया। भारतीय इतिहास में खालसा पंथ प्रवर्तक गुरु नानक देव जी से लगायत दसवें व अन्तिम गुरु गोबिन्द सिंह जी तक की गौरवमयी गाथाओं का विशिष्ट स्थान है। सिख गुरुओं के धर्मनिष्ठ त्याग, राष्ट्रप्रेम एवं महान वीरोचित परम्पराओं से यह देश धन्य हुआ है।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में भाई नरिन्दर सिंह, भाई सुरिन्दर सिंह, भाई लवप्रीत सिंह ने शबद कीर्तन किया। मुख्य ग्रन्थी अजीत सिंह ने पवित्र ग्रन्थ के कुछ अंशों का पाठ किया। इस अवसर पर गुरुद्वारा गुरुबाग के मुख्य सेवादार परमजीत सिंह अहलूवालिया, प्रबन्धक दलजीत सिंह, सचिव डॉ हरमिन्दर सिंह दुआ, डॉ वीरेन्द्र जायसवाल, जयप्रकाश , रामचन्द्र ,प्रो. मनोज चतुर्वेदी,वैभव कपूर,रोहित कपूर आदि की उपस्थिति रही।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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