Uttar Pradesh

बांग्लादेश के हिन्दुओं ने शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की मौजूदगी में सुनाई व्यथा

बांग्लादेश के हिन्दु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से अपनी बात रखते हुए

मांग—शंकराचार्य पीठ की तरफ से एक प्रतिनिधिमण्डल बांग्लादेश जाए,दुनिया में कहीं भी जन्म लेने वाले हिन्दू को स्वाभाविक रूप से भारत का नागरिक माना जाए

वाराणसी,25 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । बांग्लादेश के हिन्दुओं के एक प्रतिनिधि मंडल ने बुधवार को केदारघाट स्थित श्री विद्यामठ में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को अपनी हृदय विदारक पीड़ा सुनाई। प्रतिनिधियों की पीड़ा को शंकराचार्य ने मीडिया से साझा किया। इस दौरान प्रतिनिधियों ने शंकराचार्य को बताया कि बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में काम करने वाले हिन्दुओं को जबरदस्ती नौकरी से त्यागपत्र देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। ऐसी अपमानजनक स्थिति बनाई जा रही है कि हिन्दू नौकरी से स्वयं त्यागपत्र दे दें। हिन्दू मन्दिरों की मूर्तियों को तोड़ा जा रहा है, चढ़ावे के पैसे को लूटा जा रहा है, पुजारियों की हत्याएँ की जा रही हैं। रात के अँधेरे और दिन के उजाले में दरवाजों को खुलवाकर जबरदस्ती बहन-बेटियों का अपहरण किया जा रहा है। उनके साथ दुराचार कर उन्हें मार दिया जा रहा है। यहाँ तक कि मर जाने के बाद भी उनके साथ दुराचार किया जा रहा है। हिन्दुओं पर धर्मान्तरण के लिए भारी दबाव है और मना करने पर जान से मार देने के खतरे भी हैं।

प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि यह स्थिति अनायास ही एक दिन में नहीं बनी, वर्षों से हिन्दुओं के साथ बांग्लादेश में यह सब चल रहा है। पहले भी चुनाव हारने पर या फिर किसी भी छोटे— बड़े कारणों से हिन्दुओं की हत्या और उनके सम्पत्तियों की लूट पहले भी होती रही और कठमुल्ले उन्हें धर्म बदलने का दबाव पहले भी लगातार डालते रहे। मन्दिरों को तोड़ना, उनकी सम्पत्तियों की लूट की घटनाएँ पहले भी होती थी पर जब से मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश में सरकार के सलाहकार बन कर सत्ता में आए हैं तब से इन घटनाओं में अब कई गुना वृद्धि हुई है ।

प्रतिनिधियों से शंकराचार्य ने पूछा कि आपलोग अपना धर्म क्यों नहीं बदल लेते। जिससे आपकी सभी विपत्तियां एक साथ समाप्त हो सकती हैं?। इस पर उनका उत्तर था कि जिसने मुस्लिम धर्म के बारे में जान लिया वह मरते दम तक इस्लाम स्वीकार करने के बारे में सोच भी नहीं सकता। हिन्दुओं की पीड़ा सुनने के बाद शंकराचार्य ने बताया कि प्रतिनिधि मंडल ने भारत सरकार से कुछ मांग की है। इसमें बांग्लादेश में हिन्दुओं के समर्थन और सहयोग,वस्तुस्थिति के मूल्यांकन के लिए शंकराचार्य पीठ की तरफ से एक प्रतिनिधिमण्डल भेजने की बात कही है। जो वहां के हिन्दुओं का मनोबल बढ़ा सके। बांग्लादेशी प्रतिनिधि मंडल की अन्य मांग है।

बांग्लादेश के वह हिन्दू जो 5 अगस्त 2024 के पहले भारत में वीजा पर आए थे । और वीजा अवधि खत्म होने के बाद वापस बांग्लादेश लौटने पर विवश हो उनकी वीजा अवधि को तब तक बढ़ाया जाए जब तक बांग्लादेश में स्थिति सामान्य न हो जाय। जबरदस्ती रोजगार और नौकरी से निकाले गए हिन्दुओं के लिए रोजगार की व्यवस्था जिससे की हिन्दू सम्मानपूर्ण तरीके से अपनी जीविका कमा सकें। दुनिया में कहीं भी जन्म लेने वाले हिन्दू को स्वाभाविक रूप से भारत का नागरिक माना जाए जैसा कि इजरायल में होता है। भारत और बांग्लादेश के बीच आबादी की अदला बदली। जिसमें बांग्लादेश की हिन्दू आबादी भारत में और उसी के अनुपात में सुविधाजनक रूप में मुस्लिम आबादी को बांग्लादेश भेजा जाय।

—पहली बार दिल्ली में मिला प्रतिनिधि मंडल

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अनुसार बांग्लादेश से 12 सदस्यों का एक प्रतिनिधिमण्डल दिल्ली से विदुषी मधु किश्वर के साथ सबसे पहले मुझसे मिला। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों मै शीतकालीन चारधाम की यात्रा कर रहा था, जिसमे मेरे साथ भारत के विभिन्न प्रान्तों से आए करीब 100 लोगों का एक बड़ा समूह भी था। यह बेहद सफल यात्रा थी जिसमे मुझे भगवान् के दर्शन-पूजन के साथ-साथ समाज के विभिन्न लोगों के साथ सुखद सान्निध्य का अवसर भी प्राप्त हुआ। इस यात्रा की समाप्ति पर मुझे पहले से तय आगे की यात्रा और कार्यक्रमों में जाना था पर बीच में समय निकाल कर मैं काशी आया, क्योंकि मुझे लगा कि काशी इसके लिए उचित और सबके लिए सुविधाजनक स्थान था मिलने के लिए। काशी में बांग्लादेश का प्रतिनिधि मंडल मुझसे मिला। दल ने मुझे बताया कि बांग्लादेश में पिछले 25 सालों में कम से कम 30 लाख बांग्लादेशी हिन्दुओं को कत्ल-ए-आम किया गया और करीब करोड़ों हिन्दू पुरुष, स्त्री, बच्चे गायब हो चुके हैं। देश के निर्माण के समय वहाॅ जहाँ हिन्दुओं की कुल आबादी लगभग 23 फीसदी थी । वह अब घट कर शायद 7 फीसदी रह गई है।

—————

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

Most Popular

To Top