Uttar Pradesh

लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए तत्पर रहे अटलजी : मिथिलेश नारायण

अतिथिगण

–अटलजी ने की नैतिक मूल्यों की स्थापना : आरके ओझा –नैतिकता की अवधारणा थे अटल बिहारी : प्रो0 सत्यकाम–मुक्त विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

प्रयागराज, 24 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में अटल सुशासन सप्ताह के अंतर्गत अटल बिहारी बाजपेई की सौवीं जयंती के अवसर पर मंगलवार को लोकमान्य तिलक शास्त्रार्थ सभागार में लोकतंत्र में नैतिक मूल्य विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि क्षेत्र बौद्धिक शिक्षण प्रमुख पूर्वी उप्र लखनऊ मिथिलेश नारायण ने कहा कि अटल बिहारी बाजपेई लोकतांत्रिक मूल्य की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहे। वह सत्य के साथ कभी समझौता नहीं करते थे।

उन्होंने कहा कि अटलजी की कविताएं रोटी, कपड़ा, मकान के लिए सीमित नहीं थीं। उनकी कविताएं भारतीय जीवन मूल्यों से ओत-प्रोत थी। अटलजी कहते थे विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती पर्यावरण है। यदि यह सुरक्षित न रहा तो जीवन अस्त व्यस्त हो जाएगा। इसलिए आज पर्यावरण को संरक्षित करना हम सब की जिम्मेदारी है। अटलजी ने अनेक कीर्तिमान स्थापित किए जिनमें स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना आज फलीभूत हो रही है। उन्होंने कहा कि अटलजी का मानना था कि भारत केवल एक नक्शा नहीं है बल्कि हम सभी भारत हैं।

विशिष्ट अतिथि उच्च न्यायालय प्रयागराज के वरिष्ठ अधिवक्ता राधाकांत ओझा ने कहा कि आज अटलजी को मानने वाले बहुत हैं। लेकिन उनकी विचारधारा पर लोगों को चल कर दिखाना पड़ेगा। समाज में जिस प्रकार नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है, उसको बचाने के लिए हमें अटलजी के जीवन दर्शन को आत्मसात करना आवश्यक हो गया है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो अटलजी एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने न केवल नैतिक मूल्यों की स्थापना की बल्कि नैतिक मूल्यों के साथ जिए भी। उन्होंने कहा कि समाज में ऊंचे पद पर बैठे हुए लोगों का मूल्यांकन किया जा रहा है, इसलिए हमें अपने नैतिक मूल्यों के प्रति वफादार रहना होगा।संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए मुक्त विवि के कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि अटलजी नैतिकता की प्रतिमूर्ति के साथ ही नैतिकता की अवधारणा थे। जहां अहिंसा और शांति है, वहीं अटलजी हैं। भारत को शक्तिशाली बनाने के लिए अटलजी ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया। उन्होंने पूरे भारत को नई दिशा दी। उन्होंने भारतीय संस्कृति को केंद्र में रखा। धर्म और अधर्म का जो संवाद गीता में है, वही संवाद अटल बिहारी करते हैं। कुलपति ने कहा अटल जी के अंदर भारत को शक्तिशाली बनाने के लिए बड़ी उदारता तथा हृदय की विशालता थी। आज भी कोई व्यक्ति उनकी आलोचना नहीं करता है।

इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत अटल सुशासन पीठ के निदेशक प्रो पीके पांडेय ने तथा विषय प्रवर्तन समाज विज्ञान विद्या शाखा के निदेशक प्रो एस कुमार ने किया। संचालन डॉ आनंदानंद त्रिपाठी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ त्रिविक्रम तिवारी ने किया। जनसम्पर्क अधिकारी डॉ प्रभात चन्द्र मिश्र ने बताया कि 25 दिसम्बर को विश्वविद्यालय में भारतरत्न पं अटल बिहारी बाजपेई के जन्मदिन पर उनकी प्रतिमा की स्थापना की जाएगी एवं अटलजी द्वारा रचित चुनी हुई कविताएं नामक पुस्तक का वितरण किया जाएगा।

(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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