Uttar Pradesh

सीएसजेएमयू में आयुर्वेद ओपीडी के जरिये छात्रों व स्टाफ का हुआ प्रकृति परीक्षण

प्रकृति परीक्षण के दौरान लिया गया छाया चित्र

कानपुर, 24 दिसंबर (Udaipur Kiran) । सीएसजेएमयू में आयोजित भारत सरकार द्वारा संचालित प्रकृति परीक्षण (मन-शरीर संरचना) आयुर्वेद ओपीडी के जरिये छात्रों से लेकर विश्वविद्यालय के स्टाफ का प्रकृति परीक्षण किया गया। इसके जरिये व्यक्ति की दिनचर्या में बदलाव कर उसे गंभीर बीमारियों से बचाने और मानसिक एवं शारीरिक रुप से मजबूत बनाने के लिए अहम जानकारियां दी गयीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवाहन पर देश भर में प्रकृति परीक्षण अभियान को जोर दिया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत सदियों पुरानी आयुर्वेद के इलाज की प्रणाली को आगे बढ़ाते हुए जागरुक किया जा रहा है। इस पद्धति के जरिये व्यक्तियों के शरीर में सही से खान पान न होने की वजह से हो रहे बदलाव की जानकारी जुटाई जा रही है। इन्ही बदलाव को रोकने और इलाज के लिए इसकी शुरुआत की गई है। इसी क्रम में छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के स्कूल आफ हेल्थ साइंसेस में मंगलवार को प्रकृति परीक्षण का आयोजन किया गया। प्रकृति परीक्षण को लेकर संस्थान में निःशुल्क आयुर्वेद ओपीडी का संचालन डा. वंदना पाठक (सेक्रेटरी नीमा) एवं डा. निरंकार गोयल (भूतपूर्व डीएओ) के द्वारा किया गया। इसके जरिये छात्र-छात्राओं के साथ-साथ संस्थान के सभी फैकल्टी एवं स्टाफ का भी प्रकृति परीक्षण किया गया। प्रकृति परीक्षण में हर व्यक्ति के घर में जाकर उसकी अपनी अद्वितीय प्रकृति के बारे में जानकारी इकट्ठा की जाती है। यह कार्यक्रम आयुष मंत्रालय के अंतर्गत पूरे देश में संचालित किया जा रहा है। आज के इस कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक डा. दिग्विजय शर्मा के साथ महाराणा प्रताप के डा. मनीष एवं रामा विश्वविद्यालय के डा. सौरभ ने अपनी टीम के साथ आकर प्रकृति परीक्षण किया।

इस प्रकृति परीक्षण से यह पता चलता है कि व्यक्ति की आयुर्वेदिक बॉडी किस तरह की है। जिससे कि उनको विशेष आहार एवं दिनचर्या में किसी भी प्रकार के सुधार की जरुरत का अनुमान लगाने एवं उसको जरुरत के अनुसार बदलने में मदद मिलेगी। जिससे कि व्यक्ति के जीवन के गुणवत्ता में आशातीत सुधार हो सकेगा। इस प्रकृति परीक्षण से यदि व्यक्ति विशेष किसी व्याधि से ग्रस्त है तो उसका परफेक्ट प्रिसक्रिप्शन नोट बनाने में मदद मिलेगी एवं चिकित्सकों द्वारा सही औषधि का निर्धारण किया जा सकेगा। वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्या डा. वंदना पाठक ने बताया कि इस कार्यक्रम की सफलता से कलयुग में हो रहे अनेकों बीमारियों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी एवं व्यक्ति विशेष अपना आदर्श जीवन व्यतीत कर सकेगा।

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(Udaipur Kiran) / Rohit Kashyap

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