West Bengal

मानस भुइयां पर गुटबाजी के आरोप, तृणमूल विधायकों ने ममता बनर्जी को लिखा पत्र

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कोलकाता, 24 दिसंबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम मेदिनीपुर जिले में तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मंत्री मानस भुइयां पर गुटबाजी के आरोप लगाते हुए तृणमूल विधायकों के एक समूह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है। इन विधायकों ने आरोप लगाया है कि मानस जिले में संगठन के भीतर पुराने तृणमूल नेताओं को दरकिनार कर अपने समर्थकों को तरजीह दे रहे हैं।

विधायकों द्वारा भेजे गए दो पन्नों के पत्र में कहा गया है कि मानस भुइयां पुराने तृणमूल नेताओं को संगठन में काम करने से रोक रहे हैं और अपने लोगों को ही अवसर दे रहे हैं। पत्र में इस बात का भी उल्लेख है कि मानस को इस काम में हाल ही में मेदिनीपुर विधानसभा उपचुनाव में जीतकर आए विधायक और जिला संगठन अध्यक्ष सुजॉय हाजरा का समर्थन प्राप्त है।

इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में केशपुर की विधायक और पंचायत राज्य मंत्री शिउली साहा, दांतन के वरिष्ठ विधायक बिक्रम प्रधान और डेबरा के विधायक हुमायूं कबीर शामिल हैं। इनमें से अधिकांश विधायक तृणमूल कांग्रेस के पुराने नेता माने जाते हैं।

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ममता से हस्तक्षेप की मांग :

विधायकों ने ममता बनर्जी से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि यदि जिला राजनीति में इस तरह की गुटबाजी जारी रही, तो आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

मानस भुइयां 2016 में कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे। इसके बाद ममता बनर्जी ने उन्हें राज्यसभा भेजा और उनकी पत्नी गीता भुइयां को सबंग विधानसभा सीट से विधायक बनाया। 2021 के विधानसभा चुनाव में मानस ने सबंग से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। वर्तमान में वे सिंचाई और जल संसाधन विकास मंत्री हैं।

इस मामले पर प्रतिक्रिया के लिए जब मानस भुइयां से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनका फोन बंद था। उनका पक्ष मिलने पर इसे शामिल किया जाएगा।

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पहले भी सामने आए हैं गुटबाजी के मामले :

यह पहली बार नहीं है जब तृणमूल कांग्रेस के भीतर गुटबाजी की बात सामने आई हो। कुछ समय पहले कृष्णानगर की सांसद महुआ मोइत्रा पर भी उनके क्षेत्र के विधायकों ने गुटबाजी के आरोप लगाते हुए ममता बनर्जी को पत्र लिखा था। हालांकि, ममता ने उस समय इस पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी थी।

पश्चिम मेदिनीपुर में गुटबाजी का यह मामला तृणमूल कांग्रेस के लिए आगामी चुनावों से पहले चुनौती बन सकता है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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