नई दिल्ली, 23 दिसंबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत विरोधी संगठनों और नेटवर्क का पता लगाने के लिए मित्र देशों के साथ एक खुफिया समन्वय रणनीति विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस रणनीति में आक्रामक उपाय भी शामिल होने चाहिए।
केंद्रीय गृह मंत्री ने सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित ’37वां इंटेलिजेंस ब्यूरो शताब्दी बंदोबस्ती व्याख्यान’ में कहा कि आने वाले दिनों में हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि केवल जानकारी साझा करना पर्याप्त नहीं है हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमें मित्र देशों से महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी प्राप्त हो। गृह मंत्री ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी के लिए ब्लॉक चेन विश्लेषण टूल का उपयोग करने का समय आ गया है। उन्होंने फर्जी कॉल और फर्जी ईमेल के खिलाफ त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश के दुश्मन इन माध्यमों से जनता के बीच भय और आतंक का माहौल पैदा कर रहे हैं।
शाह ने कहा कि विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) को खुद को एक अत्याधुनिक खुफिया एजेंसी बनने के लिए तैयार करना होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युवा अधिकारियों को इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी सुरक्षा एजेंसी की सफलता उसके कार्यबल और उसके कर्मियों को प्रशिक्षित करने की क्षमता पर आधारित होती है। गृह मंत्री ने गलत सूचना का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रचार के प्रसार को शून्य तक कम करने के लिए हमें एक रणनीति, प्रौद्योगिकी और तत्परता की आवश्यकता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले 5 वर्षों में निर्णायक लड़ाई लड़कर देश के विभिन्न खतरों पर प्रभुत्व स्थापित किया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पांच साल पहले तक, देश को तीन लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों- पूर्वोत्तर, वामपंथी उग्रवाद और कश्मीर का सामना करना पड़ा, जिसने इसकी शांति, कानून और व्यवस्था, सुरक्षा और भविष्य को चुनौती दी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की सख्त नीतियों और सख्त फैसलों के कारण आने वाली पीढ़ियों को अब इन तीन खतरों के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हमने इन पर लगभग निर्णायक जीत हासिल कर ली है। शाह ने उल्लेख किया कि इन तीन क्षेत्रों में हिंसक घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई है, और मृत्यु दर में लगभग 86 प्रतिशत की कमी आई है।
अमित शाह ने कहा कि आज के युग में संप्रभुता का दायरा क्षेत्रीय सीमाओं तक सीमित नहीं रह गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि हम संप्रभुता की परिभाषा में नवाचार, प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था, संसाधन और अनुसंधान एवं विकास प्रक्रियाओं को शामिल नहीं करते हैं, तो हम देश की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते। उन्होंने चेतावनी दी कि इन क्षेत्रों को सुरक्षित करने में थोड़ी सी भी चूक हमारी संप्रभुता को नुकसान पहुंचाएगी, इसलिए इनकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा अब केवल सीमाओं और नागरिकों की सुरक्षा के बारे में नहीं है अब हमें नए आयामों को शामिल करने के लिए सुरक्षा की परिभाषा का विस्तार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कंप्यूटर के सिर्फ एक क्लिक से किसी भी देश के महत्वपूर्ण और डिजिटल बुनियादी ढांचे को नुकसान हो सकता है। शाह ने इस बात पर जोर दिया कि हमें इंटेलिजेंस ब्यूरो की सुरक्षा की अवधारणा को व्यापक बनाने और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहने की जरूरत है।
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने इस साल 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून पेश किए। उन्होंने कहा कि 5 साल तक कई बैठकों में सभी हितधारकों के साथ चर्चा के बाद हम ये कानून लेकर आये हैं. उन्होंने कहा कि इन कानूनों को बनाने की पूरी प्रक्रिया में वह खुद शामिल थे. गृह मंत्री ने विश्वास जताया कि, एक बार ये कानून पूरी तरह से लागू हो जाएंगे, तो भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली दुनिया में सबसे आधुनिक हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के लागू होने के बाद देश में दर्ज किसी भी एफआईआर से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में 3 साल के भीतर न्याय मिलेगा। शाह ने इस बात पर जोर दिया कि इन नए कानूनों का अभ्यास करके इनका उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मामलों में किया जा सकता है। गृह मंत्री ने बताया कि इन तीन कानूनों में ऐसे प्रावधान हैं जो भविष्य में सुरक्षा जरूरतों को पूरा करेंगे। उन्होंने इनके प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक टीम बनाने और सभी स्तरों पर प्रशिक्षण की व्यवस्था करने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि अलगाववाद को भड़काने के लिए गलत सूचना का उपयोग करना, सांप्रदायिक दंगे, सोशल मीडिया के माध्यम से नशीली दवाओं का व्यापार, साइबर जासूसी और क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित मुद्दे जैसी चुनौतियां अब अनूठी चुनौतियों के रूप में उभरी हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए हमें अपनी एजेंसियों को पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर नए तरीकों के साथ तैयार करना होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें समाधान खोजने के लिए अलग हटकर सोचने की जरूरत है, क्योंकि जैसे-जैसे चुनौतियां विकसित होंगी, हमारी रणनीतियों को भी बदलना होगा।
इस अवसर पर केंद्रीय गृह सचिव, इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक, इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व निदेशक, केंद्रीय पुलिस बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशक और इंटेलिजेंस ब्यूरो और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार