—अखिल भारतीय विद्वत परिषद की पहल, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति और महापौर वाराणसी देंगे उपाधि
वाराणसी, 23 दिसंबर (Udaipur Kiran) । सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व ज्योतिष विभागाध्यक्ष, वेद वेदांग संकाय प्रमुख प्रोफेसर उमाशंकर शुक्ल को अखिल भारतीय विद्वत परिषद ने महामहोपाध्याय की उपाधि से सम्मानित किया है। सोमवार को यह उपाधि प्रो.शुक्ल को श्रीरामनाथ चौधरी शोध संस्थान, नरिया में दिया जाएगा। इस सम्मान को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा, वाराणसी के मेयर अशोक तिवारी, संस्था के अध्यक्ष प्रो. जय शंकर त्रिपाठी, उपाध्यक्ष प्रो. कामेश्वर उपाध्याय, प्रो. रामपूजन पाण्डेय संयुक्त रूप से प्रदान करेंगे।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी शशीन्द्र मिश्र ने बताया कि यह सम्मान प्रो. उमाशंकर शुक्ल की विशिष्ट उपलब्धियों के कारण दिया जा रहा है, जो उनके ज्योतिष के क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पटल पर योगदान को दर्शाता है। प्रो. शुक्ल जौनपुर जनपद के बदलापुर क्षेत्र के सराय त्रिलोकी गांव के मूल निवासी हैं। गांव से जुड़कर विज्ञान और गणित विषय में स्नातकोत्तर उपाधि के साथ परम्परागत ज्योतिष शास्त्र में आचार्य स्वर्ण पदक एवं ऐतिहासिक शीर्षक पर विद्या वारिधि की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद वे उत्तर प्रदेश पीपीएस सेवा में पुलिस उपाधीक्षक पद पर चयनित हुए। इसके बाद देववाणी संस्कृत के महत्व को साकार कर पुलिस अधिकारी की सेवा से इस्तीफा देकर सरस्वती साधना में समर्पित हो गये। इसके साथ ही 1978 में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में ज्योतिष शास्त्र में सहायक आचार्य की सेवा में नियुक्त होकर संस्था में सबसे क्रम उम्र के आचार्य मात्र 32 वर्ष की अवस्था में बने। इसके बाद पदोन्नति पाकर ज्योतिष शास्त्र के क्षेत्र में अनवरत राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने योगदान से नवीन पीढ़ी के लिये अनेकों शोध के मार्ग प्रशस्त किया। वर्ष 2012 में सेवानिवृत्त होकर आज भी अपने वाराणसी स्थित आवास पर दर्जनों विद्यार्थियों को निःशुल्क पढ़ाते हैं। साथ ही अपने आवास पर उनके रहने एवं भोजन की भी अपने माध्यम से निःशुल्क सेवा सहयोग करते हैं।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी