सवाई माधाेपुर, 22 दिसंबर (Udaipur Kiran) । रणथंभौर टाइगर रिजर्व के त्रिनेत्र गणेश मंदिर और फोर्ट (दुर्ग) में रविवार को आमजनों को एंट्री नहीं दी जा रही है। इसकी वजह वहां के इलाके में बाघिन और शावकों का मूवमेंट है। तीन दिन (20, 21 व 22 दिसंबर) से फोर्ट व मंदिर एरिया में बाघिन एरोहेड और उसके दाे शावकों को देखा गया है। रविवार को भी बाघिन अपने शावकों के साथ चहलकदमी करती देखी गई है। इसके बाद वन विभाग और त्रिनेत्र गणेश मंदिर ट्रस्ट ने पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए दुर्ग और त्रिनेत्र गणेश मंदिर रविवार पूरे दिन के लिए बंद कर दिया है।
शनिवार को जो भी पर्यटक और श्रद्धालु पहुंचे थे, उन्हें फौरन बाहर निकाला गया था। वन विभाग के मुताबिक बाघिन T-84 एरोहेड और उसके शावकों का तीन दिन से रणथम्भौर दुर्ग में मूवमेंट है। एरोहेड और उसके शावक 20 दिसंबर की शाम पांच बजे पहली बार फोर्ट एरिया में दिखे थे। उस वक्त फोर्ट में बड़ी संख्या में टूरिस्ट थे। उन्होंने बाघिन और उसके शावकों के वीडियो भी बनाए थे। टाइगर का यह दल पद्मला तालाब, लक्ष्मी नारायण मंदिर, 32 खभों की छतरी के आसपास घूम रहा है।
शनिवार शाम को एक मीटिंग कर रविवार के लिए वन विभाग और त्रिनेत्र गणेश मंदिर ट्रस्ट ने दुर्ग में प्रवेश बंद करने का फैसला किया था। त्रिनेत्र गणेश मंदिर के मुख्य महंत बृजकिशोर दाधीच, संजय दाधीच और वन विभाग के अधिकारियों ने सुरक्षा को देखते हुए यह निर्णय किया है। रविवार को मंदिर दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं को मायूस लौटना पड़ा।
त्रिनेत्र गणेश मंदिर ट्रस्ट के प्रधान सेवक हिमांशु गौतम ने बताया कि हर रविवार को त्रिनेत्र गणेश मंदिर के दर्शन के लिए देशभर से 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
एरोहेड और उसके शावक तीन दिन से रणथंभौर फोर्ट और पद्मला तालाब के पास नजर आ रहे हैं।
एरोहेड और उसके शावक तीन दिन से रणथंभौर फोर्ट और पद्मला तालाब के पास नजर आ रहे हैं।
एरोहेड (टी-84) बाघिन कृष्णा (टी-19) की संतान है। एरोहेड की नानी मछली (टी-16) थी। मछली को रणथंभौर की मां कहा जाता था। एरोहेड को जूनियर मछली भी कहा जाता है। फिलहाल एरोहेड 10 साल की है। वह चार बार शावकों को जन्म दे चुकी है। आखिरी बार जुलाई 2023 में एरोहेड ने चौथी बार तीन शावकों को जन्म दिया था।
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(Udaipur Kiran) / रोहित