Assam

अत्याचार के खिलाफ संघर्ष में शहीद मृदुल इस्लाम: एपीसीसी

गुवाहाटी, 21 दिसंबर (Udaipur Kiran) । असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष और मीडिया प्रभारी नबज्योति तालुकदार ने कहा है कि असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के साथ मिलकर देशभर में भाजपा सरकार की तानाशाही नीतियों और उपेक्षा के खिलाफ राजभवनों तक मार्च आयोजित किया। इस विरोध प्रदर्शन में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया। जिनमें, भ्रष्टाचारियों जैसे गौतम अडानी को बचाने के लिए सरकार के शर्मनाक प्रयासों का पर्दाफाश, मणिपुर में चल रहे मानवीय संकट के प्रति भाजपा की उदासीनता की निंदा, असम में स्मार्ट मीटर के अन्यायपूर्ण और शोषणकारी क्रियान्वयन के खिलाफ विरोध आदि शामिल थे।

कांग्रेस नेता ने कहा कि 18 दिसंबर को गुवाहाटी में आयोजित इस शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक मार्च के दौरान युवा अधिवक्ता और होनहार नेता मृदुल इस्लाम असम पुलिस की बर्बरता और अत्यधिक बल प्रयोग के कारण शहीद हो गए। उनकी शहादत भाजपा सरकार की सत्ता के दुरुपयोग और असहमति को दबाने के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन गई है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने मृदुल इस्लाम के शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। राहुल गांधी ने परिवार से पांच मिनट तक बात की। जबकि, खड़गे ने 7 मिनट तक उन्हें सांत्वना दी और कांग्रेस की अटूट समर्थन की प्रतिबद्धता दोहराई।

कांग्रेस पार्टी ने तीन विंदुओं को रेखांकित किया है। जिनमें पहला, तत्काल सहायता: कांग्रेस सांसदों, विधायकों और कार्यकर्ताओं द्वारा 25 लाख रुपये की सामूहिक सहायता राशि शहीद के परिवार को प्रदान की जाएगी। दूसरा, बच्चों की शिक्षा: मृदुल इस्लाम के दोनों बच्चों की शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी उठाएगी। तीसरा, नौकरी की मांग: मृदुल इस्लाम की विधवा हमीदा परबीन को उनके गृह जिले में उपयुक्त सरकारी नौकरी देने की मांग असम सरकार से की गई है।

उन्होंने कहा कि असम में भाजपा सरकार द्वारा शांतिपूर्ण विरोध को दबाने के लिए राज्य मशीनरी के दुरुपयोग की कांग्रेस कड़ी निंदा की है। कांग्रेस ने घटना की स्वतंत्र जांच की मांग की है।

असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने कहा कि मृदुल इस्लाम की शहादत यह दर्शाती है कि यह शासन विरोध को दबाने के लिए किस हद तक जा सकता है। हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक उनके परिवार को न्याय नहीं मिलता और इस दमनकारी शासन को उनके कृत्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता।

(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश

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