हरिद्वार, 21 दिसंबर (Udaipur Kiran) । अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा बलराम दास हठयोगी ने अखाड़ा परिषद की संपत्तियों में गड़बड़ी और निजी स्वार्थ में संत समाज की सर्वोच्च संस्था को राजनीति का शिकार बनाने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने दोनों अखाड़ा परिषद अध्यक्षों को कानूनी नोटिस भेजते हुए 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा है, अन्यथा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है।
संत समाज की छवि धूमिलबाबा हठयोगी ने हरिद्वार में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि अखाड़ा परिषद की संपत्तियों को सस्ते स्टांप पर बेचा जा रहा है, और उन पर फ्लैट, होटल, एवं अन्य व्यावसायिक गतिविधियां चलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इन संपत्तियों से प्राप्त धनराशि का कोई पारदर्शी हिसाब नहीं है, और इसका दुरुपयोग हो रहा है।
हरिद्वार कुंभ में अनियमितताओं का आरोपउन्होंने आरोप लगाया कि हरिद्वार कुंभ में अखाड़ों को सरकार से मिली धनराशि का जनहित में कोई उपयोग नहीं हुआ। सरकारी धन के खर्च का ब्यौरा भी नहीं दिया गया। बाबा हठयोगी ने कहा कि पूर्व में स्टांप चोरी और फ्लैट बेचने के मामले में नोटिस भी जारी हुए थे, लेकिन प्रभावशाली लोगों के कारण इन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
भूमाफिया और राजनीति का हस्तक्षेपबाबा हठयोगी ने कहा कि अखाड़ों में भूमाफिया, राजनेताओं और ठेकेदारों का अनुचित हस्तक्षेप बढ़ रहा है, जिससे संत समाज की गरिमा और अखाड़ा परिषद की मर्यादा को नुकसान हो रहा है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा कि प्रयागराज कुंभ में धनराशि देने के दबाव के बावजूद उन्होंने यह धनराशि नहीं दी, जो अखाड़ों की पारदर्शिता पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त है।
पुनर्गठन की मांगउन्होंने अखाड़ा परिषद के पुनर्गठन की मांग करते हुए कहा कि परिषद को अपने मूल उद्देश्यों की ओर लौटना होगा। बाबा हठयोगी ने समाज और संतों से आह्वान किया कि वे एकजुट होकर संत परंपरा और अखाड़ा परिषद की गरिमा की रक्षा करें।
अध्यक्षों को नोटिसबाबा हठयोगी ने दोनों गुटों के अध्यक्षों को नोटिस जारी करते हुए स्पष्ट किया कि यदि 15 दिनों के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो वह इस मामले को उच्च न्यायालय तक ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद को साझा मंच के रूप में पुनः स्थापित करना समय की मांग है।
विवाद का बढ़ता दायरागौरतलब है कि वर्तमान में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के दो गुट और दो अध्यक्ष हैं, जो संत समाज में एकता की कमी को दर्शाता है। बाबा हठयोगी की यह पहल संत समाज को नई दिशा देने की कोशिश है, जो संतों की गरिमा और परंपराओं की रक्षा में अहम साबित हो सकती है।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला