CRIME

एक गांव की दो सहेलियों ने कुछ घंटे के अंतराल में लगा ली फांसी

File photo

बांदा, 20 दिसंबर (Udaipur Kiran) । घरेलू नाराजगी के चलते युवती ने खुदकुशी की तो अटूट प्रेम को लेकर पड़ोस में रहने वाली उसकी नाबालिग सहेली ने पांच घंटे के अंदर आत्मघाती कदम उठा लिया। दोनों के शव उनके घरों में परिजनों को फंदे से लटके मिले। दोनों ने दीपावली के मेेले में अपने नाम के साथ अपनी सहेली का नाम भी हाथों में गोदाया था। युवती के परिजनों का कहना है कि कपड़े न दिलाने से नाराज होकर उसने आत्मघाती कदम उठाया है। दोनों घटनाओं को लेकर गांव में तरह-तरह की चर्चाएं होती रहीं। पुलिस मामले की जांच कर रही है। फोरेंसिक टीम ने दोनों घटनास्थलों से साक्ष्य संकलित किए हैं।

देहात कोतवाली के ग्राम जारी निवासी गायत्री देवी (19) पुत्री देवराज ने शुक्रवार सुबह करीब छह बजे घर की अटारी में रस्सी से फंदा लगा लिया। घरेलू काम काज को लेकर उसकी छोटी बहन प्रियंका ने बुलाया। लेकिन वह अटारी से नीचे नहीं आई। छोटी बहन उसे देखने गई तो छप्पर की धन्नी से उसका शव लटका मिला। पुलिस ने घटनास्थल देखा। पिता ने बताया कि कक्षा आठ के बाद उसने पढ़ाई बंद कर दी थी। पिछले चार दिनों से वह गरम कपड़े खरीदने की जिद कर रही थी। जिसमें उसे बाजार जाने पर खरीदने को कहा गया था। इसी नाराजगी के चलते उसने यह कदम उठाया है। घर के पीछे रहने वाली गायत्री के खुदकुशी करने की खबर सुनकर पड़ोसी छोटेलाल की पत्नी सुइया उसे देखने गई। जहां से वापस अपने घर लौटने पर उसकी भी 17 वर्षीय बेटी पुष्पा ने दुपट्टे से फंदा लगा लिया। उसका शव पिता को खेत से घर लौटने पर बल्ली से लटका मिला। उसके पिता छोटे लाल ने बताया कि पुष्पा व गायत्री दोनों पक्की सहेली थीं। दोनों के बीच बड़ा प्रेम था। गायत्री की मौत की जानकारी होने पर इसी प्रेम के चलते उसने भी आत्महत्या कर लिया है। देहात कोतवाली प्रभारी आनंद सिंह ने दोनों घटनास्थल देखे। दोनों के परिजनों व ग्रामीणों से घटना के बारे में जानकारी की। एएसपी शिवराज ने बताया कि पक्की दोस्ती के चलते किशोरी का फंदा लगाना बताया गया है। मामले की जांच कराई जा रही है। कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। पुष्पा के पिता छोटेलाल ने बताया कि उनकी व पड़ोसी देवराज के घरों की दीवार आपस में जुड़ी हैं। दोनों के कालोनी के मकान आगे-पीछे बने हैं। इससे पुष्पा व पड़ोसी की बेटी गायत्री की पहचान तो काफी पहले से थी। लेकिन इसी वर्ष अगस्त माह में दोनों साथ में धान लगाने की मजदूरी करने गई थीं। जहां से उनकी दोस्ती और पक्की हो गई थी। दोनों साथ खाना खाती थीं। साथ बैठकर बातें करती थीं। दोनों के बीच अच्छी निभती थी। बुलाने में भी पुष्पा दोस्त को छोड़कर नहीं आती थी। पड़ोस में बैठकर घंटों बात करने में कई बार उन्होंने उसे डांटा भी था।

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(Udaipur Kiran) / अनिल सिंह

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