शिमला, 20 दिसंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश भू-जोत संशोधन अधिनियम 2024 शुक्रवार को विधानसभा में ध्वनिमत से पारित हुआ। विधेयक के पारित होने से पहले सत्तापक्ष व विपक्ष आमने सामने हो गए। सदन में गहमागहमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को भी सदन की कार्यवाही से कुछ शब्दों को हटाना पड़ा। विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर भू-जोत संशोधन कानून 2024 के मामले को राजनीतिक रंग देने का आरोप भी लगाया। विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर व विपक्ष के अन्य सदस्यों ने इसे प्रवर समिति को भेजने का आग्रह सदन में किया।
उधर विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों पर हस्तक्षेप करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास एक चैरिटेबल संस्था है। लेकिन विपक्ष इनकी समस्या के समाधान का परोक्ष तौर पर विरोध कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के विधायकों ने भोटा अस्पताल के बाहर धरना भी दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने सत्ता में रहते हुए उद्योगों को एक रुपए प्रति मीटर के हिसाब से भी जमीन दी, लेकिन हम व्यवस्था परिवर्तन करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार धन कमाने को नहीं आई है। विपक्ष हिमाचल बेचने की बात कह रहा है। यह सरासर गलत है।
चर्चा का उत्तर देते हुए राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि भू-जोत कानून की धारा-पांच में संशोधन सरकार कर रही है। इसके दायरे में सिर्फ एक संस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि 2013 में भी इस कानून में संशोधन और जिन संस्थाओं के पास 150 बीघा से ज्यादा भूमि है, उन्हें छूट दी गई। उन्होंने कहा कि धूमल सरकार के वक्त एक अधिसूचना से राधा स्वामी सत्संग ब्यास को जमीन के मामले में छूट दी गई थी। उन्होंने कहा कि संशोधित कानून सिर्फ एक संस्था पर नहीं, बल्कि सभी धार्मिक चैरिटेबल व आध्यात्मिक संस्थाओं पर लागू होगा। उन्होंने कहा कि संशोधित कानून के तहत 30 हेक्टेयर से अधिक भूमि संस्थाएं किसी अन्य संस्था को दे सकेंगी। मगर कानून का दुरुपयोग सरकार नहीं होने देगी।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हमारे लिए संस्था और संगठन से ऊपर प्रदेश हित है। संस्था के साथ सदभाव व श्रद्धा है। बावजूद इसके सरकार को जिद्द छोडक़र संशोधन विधेयक को प्रवर समिति को भेजना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी असंख्य बिल प्रवर समिति को गए हैं। चर्चा से बेहतर रास्ता निकलता है। जयराम ठाकुर ने कहा कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए भी यह मामला कैबिनेट में चर्चा के लिए आया था। इससे पहले वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल सरकार में भी यह मामला विचाराधीन रहा। उन्होंने कहा कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास के प्रति हमारी आस्था है। कोविड के दौर में इन्होंने बहुत अधिक कार्य किया है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार को उनकी मदद के लिए प्रदेश हित को ध्यान में रखते हुए बीच का रास्ता निकालना चाहिए ताकि इस एक्ट का दुरुपयोग न हो सके। उन्होंने कहा कि संशोधन पर सवाल नहीं उठाए जाने चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार को बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजना चाहिए। जयराम ठाकुर ने कहा कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास को लोगों ने दान में जमीनें दी है। लिहाजा सरकार को सोचना चाहिए कि यह कानून की परिधि में आता भी है या नहीं।
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि सत्ता पक्ष इसे राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की बात कह रहा है, विरोध नहीं कर रहा है। भाजपा भी इसका समर्थन करती है और राधा स्वामी सत्संग ब्यास का सम्मान भी करती है।
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के इंद्रदत्त लखनपाल ने कहा कि उन्होंने कभी भोटा में धरना नहीं दिया। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि भाजपा के दो विधायकों ने धरना दिया। लखनपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री धरने का गलत आरोप लगा रहे हैं। चर्चा में कृषि मंत्री व कांग्रेस विधायक आशीष बुटेल ने भी भाग लिया।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा