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वन संरक्षण अधिनियम 1980 में संशोधन पर संकल्प प्रस्ताव विधानसभा में पारित

तपोवन विधानसभा भवन का रात्रि दृश्य।

धर्मशाला, 20 दिसंबर (Udaipur Kiran) ।

धर्मशाला के तपोवन विधानसभा में चल रहे शीत सत्र के तीसरे दिन शुक्रवार को राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने सरकारी संकल्प नियम-102 के तहत वन संरक्षण अधिनियम-1980 में संशोधन कर आपदाओं में खेती योग्य भूमि बह जाने पर तबादले में सरकारी वन भूमि व लघु एवं सीमान्त किसानों को 10 बीघा तक सरकारी वन भूमि खेती करने हेतु प्रदान करने का आग्रह करते हुए सदन में रखा। इस पर सदन में हुई चर्चा के दौरान सत्तापक्ष व विपक्ष के सदस्यों ने भाग लिया।

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने चर्चा का जबाव देते हुए कहा कि इसके लिए एक सब कमेटी भी बनाई गई है, जिसमें भी एफसीए से निकलने का कोई रास्ता ही नजर नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा एफआरए का कानून 2006 में बना है, जिसमें पात्र व्यक्तियों को ग्राम सभा के अनुमोदन पर 50 हेक्टयर तक भूमि प्रदान की जा सकती है। जिसमें 12 बीघा स्किल डेवलपमेंट, स्कूल, मैदान व अन्य में प्राप्त कर सकते हैं। घरों को रेगुलर किए जाने के लिए एफआरए के तहत कार्य किया जा सकता है। राजस्व मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने भी हाल में मार्च 2023 में ही एफसीए में संशोधन किया गया, जिसमें सड़क बनाने सहित अन्य मामले शामिल है। लेकिन हिमाचल में आपदा होने पर अन्य भूमि को एफसीए के फेर में खेती व अन्य के लिए प्रदान नहीं कर सकते हैं। इसी के चलते संकल्प से केंद्र से संशोधन की मांग रखी है, जिसमें तबादले पर भूमि वह भी जंगल में नहीं मांगी जाएगी, जोकि खेती की तरह होगी, उसे ही शामिल किया गया है। प्राकृतिक आपदाओं सहित अन्य प्रभावितों को भी शामिल करके मांग रखी जाएगी।

कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि ये वन सपंदा को बचाने के लिए ये एक्ट अति महत्वपूर्ण है। अब इस पर संकल्प लाया गया है, तो इसे लेकर संसद से ही सहमति मिलेगी। कृषि मंत्री ने एक्ट को बनाए जाने की जरूरत को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ छूट के लिए अच्छे नियमों के साथ केंद्र सरकार को भेजा जा सकता है।

शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि एफसीए एक्ट में प्राकृतिक आपदाओं से लोगों को राहत देने के लिए संशोधन जरूरी है। अढ़ाई लाख से अधिक केस में 20 बीघे से कम ज़मीन वाले मामले इसके तहत आते हैं। इसके अलावा लघु-सीमांत किसानों की भूमि को भी रेगुलर करने की बात भी रखी थी। एफसीए एक्ट में संशोधन लाकर इसमें लोगों को राहत प्रदान करने का कार्य कर सकेंगे। उन्होंने विपक्ष से केंद्र सरकार से इस मसले पर सहमति प्रदान करने की बात रखी।

शाहपुर के केवल सिंह पठानिया ने कहा कि आपदा आने से प्रभावित लोगों को सरकार भी ज़मीन देना चाहती है, लेकिन एफसीए के कारण भी ये संभव नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि सदन में उठाए जाने वाले मुद्दों को लेकर समयसीमा निर्धारित किए जाने की भी मांग रखी है।

विपक्ष से विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि वन संरक्षण अधिनियम-1980 जब से आया है, ये हटने की बजाय मजबूत होता गया है। उन्होंने कहा कि नयना देवी सेंक्चरी एरिया था, तो उसे हटाने में छह साल समय लगा। विधायक ने कहा कि दो बीघा ज़मीन एफसीए में नहीं दे सकते तो अब 10 बीघा की बात किस आधार पर रखा गया। उन्होंने कहा कि भाखड़ा में प्लॉट मिलने में एफसीए ही आड़े आ रहा है। लैंड लेस जो हो रहे है, उन्हें भी इसमें जोड़े जाने का प्रावधान करना चाइए।

चम्बा के विधायक नीरज नैयर ने कहा कि राज्य में प्राकृतिक आपदाएं आने पर लोगों की मदद नहीं कर सकते हैं। कई क्षेत्रों में अति आवश्यक है, इसमें पहले भी 2024 में भी संशोधन हुए है, तो आगामी समय में भी पोसबिल्टी है। उन्होंने कहा कि केंद्र से कई योजनाओं में बजट मिल रहा था, लेकिन ज़मीन न मिलने से बजट ही लैप्स हो गया। विधायक ने कहा कि राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल खोलने में भी दिक्कतें आ रही हैं।

विधायक भुवनेश्वर गौड़ ने कहा कि राज्य में बहुत से लोगों का नुकसान हो रहा है, लोगों के घर, खेती व अन्य ज़मीन बह गई। लेकिन अब उन्हें ज़मीन को लेकर कोई भी मदद नहीं की जा रही है, उसमें सुधार की आवश्यकता है।

चौपाल के विधायक बलबीर सिंह वर्मा ने कहा कि संकल्प में राज्य की सड़कें, स्कूल, अस्पताल व अन्य सरकारी संस्थान फोरेस्ट लैंड बने हुए हैं, उन्हें भी शामिल किया जाना चाइए। उन्होंने कहा कि सड़कें अधिक बनने व प्रॉपर ड्रेनेज सिस्टम न होना भी बाढ़ का कारण बन रही है। इससे बहुत अधिक जमीनें बह रही हैं, लैंडलैस लोग कितने है जिनके पास खेती व घरों को ज़मीन नहीं है। सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में जानकारी एकत्रित करनी चाइए। सदियों से ग्रामीण रह रहे हैं, उन्हें फोरेस्ट लैंड में डाला गया, उसे लेकर काम करना चाइए।

धर्मपुर के विधायक चंद्रशेखर ने कहा कि बरसात में काफी त्रासदी उनके क्षेत्र में भी हुआ है। इसमें अब राजनीतिक मसला भी बनता जा रहा है, लोगों को घर बनाने के पैसे मिल तो सकते हैं, लेकिन ज़मीन न होने से बन ही नहीं पा रहे हैं। इससे सरकार पर लगातार उंगलियां उठ रही है, ऐसे में संशोधन किया जाना चाइए।

पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी ने कहा कि नई जमीनें देना तो दूर की बात, जिनकी जमीनें-खेती बह गई है, उन्हें प्रदान करने को कार्य किया जाए। इसमें तबादले के ऊपर जमीन देने के लिए कार्य किया जाए। आजादी से पहले बसे लोगों को भी भूमि भी वन भूमि है, उसमें सुधार किया जाए।

गगरेट के विधायक राकेश कालिया ने कहा कि आपदा से पार्वती व ब्यास वैली में नुकसान हुआ है। इसलिए इसे मजबूती के साथ केंद्र सरकार को भेजा जाए।

(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया

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