Haryana

हिसार : अंतरराष्ट्रीय ध्यान दिवस घोषित करना भारत के लिए गौरव की बात : प्रो. नरसी राम बिश्नोई

कार्यक्रम का उद्घाटन करते विशिष्ट अतिथि प्रो. सुमित्रा सिंह।

योग विज्ञान विभाग ने प्रथम अंतरराष्ट्रीय ध्यान दिवस के उपलक्ष्य पर किया ध्यान सत्र का आयोजनहिसार, 20 दिसंबर (Udaipur Kiran) । गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग की ओर से प्रथम अंतरराष्ट्रीय ध्यान दिवस के उपलक्ष्य पर ध्यान सत्र का आयोजन किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की भांति अंतरराय ध्यान दिवस के रूप में विश्व भर में मनाए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया है। इसी उपलक्ष्य में आज योग विज्ञान विभाग द्वारा चौधरी रणबीर सिंह सभागार में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए ध्यान सत्र का आयोजन किया गया।विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने इस आयोजन के उपलक्ष्य पर अपने संदेश में कहा कि 21 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय ध्यान दिवस घोषित करना भारत के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि ‘विश्व ध्यान दिवस’ पर प्रस्ताव को अपनाने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के अनुरूप हमारे सभ्यतागत सिद्धांत तथा संपूर्ण मानव कल्याण और इस दिशा में विश्व के नेतृत्व के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण भी है। इस अवसर पर चिकित्सा विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता प्रो. सुमित्रा सिंह विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्षा प्रो. शबनम जोशी ने की।प्रो. सुमित्रा सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम सब के लिए यह अत्यंत गर्व का विषय है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तरह ही संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय ध्यान दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव रखा और उसे सर्वसम्मति से स्वीकृत किया गया। उन्होंने बताया कि ध्यान भारत की पुरातन पद्धति है और सदियों से हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है। यह जाति, संप्रदाय, वर्ण और राष्ट्र से निरपेक्ष, सारे धर्मों, परंपराओं, भाषाओं, संस्कृतियों को जोड़ने वाला-ध्यान एक विशिष्ट सार्वभौमिक परिघटना है। दैनिक मानवीय जीवन के हर पहलू में ध्यान किसी न किसी रूप में समाहित है।प्रो. शबनम जोशी ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि आधुनिक समय की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में ध्यान का बहुत महत्व है। प्राचीन अध्येताओं के द्वारा शरीर और मस्तिष्क के बीच संबंध को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है। यह एक सुस्थापित तथ्य है कि कुछ आसनों, मुद्राओं, प्राणायाम और ध्यान इत्यादि का नियमित अभ्यास, शारीरिक और मानसिक कार्य में उल्लेखनीय अंतर प्रदान करता है। इस मनोदैहिक सम्पर्क को आधुनिक चिकित्सकों के द्वारा भी अधिकाधिक स्वीकार किया जा रहा है। इस अर्थ में कि जब तक मस्तिष्क शामिल नहीं है तब तक शरीर का उपचार नहीं किया जा सकता। ध्यान किसी भी व्यक्ति के शारीरिक मानसिक भावनात्मक विकास में अहम भूमिका निभाता है। हम सबको ज्ञान को अपने जीवन का हिस्सा अवश्य बनाना चाहिए।विभाग की शिक्षिका निहारिका सिंह ने हरियाणा योग आयोग द्वारा जारी किए गए ध्यान प्रोटोकॉल का अभ्यास करवाया। डॉ. नवीन कौशिक ने ध्यान के विषय पर विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि ध्यान एक महत्वपूर्ण योगिक तकनीक है। ध्यान का नियमित अभ्यास, ध्यान करने वाले को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष अनेक लाभ प्रदान करता है। यह न केवल अभ्यासकर्ता को अनेक मानसिक समस्याओं को नियंत्रित करने में सहायता करता है, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचने में भी सहायता करता है। नकारात्मक भावनाएं जैसे भय, क्रोध, अवसाद, दबाव एवं तनाव, घबराहट, व्यग्रता, प्रतिक्रिया, चिंता इत्यादि कम हो जाते हैं और शांत मनोदशा विकसित होती है।कार्यक्रम का संचालन आचार्य मानव द्वारा किया गया। योगाचार्य प्रकाश ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर फिजियोथैरेपी विभाग की अध्यक्षा प्रो. जसप्रीत कौर, डॉ. मनोज मलिक, डॉ. कालिंदी देव, डॉ. रामनिवास, शिक्षक, गैर शिक्षक कर्मचारी व विद्यार्थी उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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