कानपुर, 19 दिसंबर (Udaipur Kiran) । इस समय ठंड के कारण शरीर की गर्मी शरीर से बाहर नहीं निकलती जिसके परिणामस्वरूप शरीर में अग्नि प्रखर हो जाती है। इसलिए इस मौसम में भारी आहार जैसे-घी, तेल से बने खाद्य पदार्थ, गुड़, फल और सब्जियां पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिये। भूख लगने पर भोजन न करने से विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं। यह बातें गुरुवार को वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डा. वंदना पाठक ने स्वर्णप्राशन कार्यक्रम के दौरान कही।
पुष्य नक्षत्र के अवसर पर छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय द्वारा संचालित स्वास्थ्य केन्द्र, राजकीय बाल गृह आरोग्य क्लीनिक लाल बंगला में स्वर्ण प्राशन कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डा. वंदना पाठक के हाथों किया गया। कार्यक्रम में भाग लेने वाले 90 बच्चों को निःशुल्क रूप से स्वर्णप्राशन कराया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डा0 वंदना पाठक ने कार्यक्रम में मौजूद अभिवावकों को हेमंत ऋतु के अनुसार आहार-विहार और रोगों से बचाव पर विशेष रूप से परामर्श दिया।
स्वर्णप्राशन संस्कार के बारे में बताते हुए कहा कि, आयुर्वेद की यह विधा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर है। संस्कार की महत्ता बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में प्रचलित 16 संस्कारों में से एक संस्कार है। यह बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास में विशेष योगदान करता है। जिन बच्चों यह संस्कार नियमित रूप होता है, उनमें मौसम और वातावरणीय प्रभाव के कारण होने वाली समस्याएं अन्य बच्चों की अपेक्षा कम देखी गयी हैं। स्वर्णप्राशन में प्रयुक्त होने वाली औषधि स्वर्ण भस्म, वच, गिलोय, ब्राह्मी, गौघृत, मधु आदि द्रव्यों के सम्मिश्रण से बनाया जाता है। उन्होंने कहा बच्चों को नियंत्रित करने के लिए डांटना, पीटना आदि भी उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है। अतः बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए। उन्होंने बच्चों को मौसम के अनुसार फल और सब्जियों के सेवन के साथ-साथ स्वच्छता स्नेहपूर्ण लालन पालन पर विशेष बल दिया।
—————
(Udaipur Kiran) / Rohit Kashyap