जम्मू, 19 दिसंबर (Udaipur Kiran) । वीरवार को मूवमेंट कल्कि की ओर से एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। इस प्रेस वार्ता का नेतृत्व मूवमेंट कल्कि के सदस्य पवन शर्मा ने किया। इसका उद्देश्य 10+2 लेक्चरर्स की नियुक्तियों में हिंदी और संस्कृत भाषाओं को प्राथमिकता न देने और एबीवीपी के विद्यार्थियों के साथ हुए दुर्व्यवहार को उजागर करना था।
मूवमेंट कल्कि के सदस्यों ने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर में सरकार बदलने के बाद भेदभाव साफ तौर पर दिखाई देने लगा है। खासकर शिक्षा क्षेत्र में यह भेदभाव स्पष्ट हो रहा है जहां हिंदी, संस्कृत और डोगरी जैसी स्थानीय भाषाओं की अनदेखी की जा रही है। प्रेस वार्ता में मूवमेंट कल्कि के सदस्यों ने एबीवीपी के विद्यार्थियों पर पुलिस लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताते हुए कहा कि महिला विद्यार्थियों और छोटी बच्चियों के साथ मेल पुलिस द्वारा जोर-जबरदस्ती और पिटाई करना पूरी तरह अनुचित और असंवैधानिक है।
मूवमेंट कल्कि के सदस्यों ने सरकार द्वारा हिंदी, संस्कृत, और डोगरी शिक्षकों की नियुक्ति न करने पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इंग्लिश और उर्दू में ही नियुक्तियां करने का आदेश सभी वर्गों और भाषाओं के प्रति भेदभावपूर्ण है। यह कदम न केवल शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करेगा बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं और संस्कृतियों का अपमान भी है। मूवमेंट कल्कि ने विद्यार्थियों की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा है और संस्कृत हमारी प्राचीन धरोहर। इन भाषाओं के शिक्षकों की नियुक्ति न होने से हजारों विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा