प्रयागराज, 19 दिसंबर (Udaipur Kiran) । सेवा वस्तुतः वह कार्य है, जो कोई व्यक्ति, अभावग्रस्त या दीन दुखी व्यक्ति व समाज की स्थिति सुधार कर, उसे उन्नत बनाने के लिये, अपनी कर्तव्य भावना से प्रेरित होकर करता है। यह बात गुरुवार को विश्व हिन्दू परिषद कार्यालय केसर भवन में आयोजित त्रिदिवसीय संस्कार शाला आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के शुभारंभ के मौके पर विहिप के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री अजेय पारीक ने कही।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में घर से लेकर विद्यालय व समाज में संस्कारों का बहुत अभाव दिखता है, जिसके कारण संस्कारहीन बालक आगे चलकर कुप्रवृत्तियों का शिकार होकर घर, परिवार व समाज के लिए घातक हो जाता है । बाल्यकाल से ही संस्कार की महती आवश्यकता है । संस्कार शाला के माध्यम से सेवा बस्ती के 25-30 बालक जो 4 से 12 वर्ष आयु के हैं, उन्हें शिक्षा व संस्कार देकर उन्हें राष्ट्र व हिंदुत्व के लिये जागृत किया जाएगा ।
समापन सत्र में विहिप के संयुक्त क्षेत्र सेवा प्रमुख राधेश्याम द्विवेदी ने बताया कि प्रयाग महानगर के 14 सेवा बस्तियों में संस्कार शाला चलाई जा रही है । 20 आचार्यों बहनों को प्रशिक्षण दिया गया । अब महानगर की 20 अन्य बस्तियों में, वि.हि.प. संस्कार शाला का विस्तार कर सामाजिक समरसता और हिन्दुत्व का जागरण करेगा । संस्कारित बालक-बालिकाएं ही आगे राष्ट्र के गौरव बनेंगे । डॉ. अम्बालिका मिश्रा ने 3 दिन लगातार 12 सत्रों में रहकर प्रशिक्षण में सहभागिता किया । प्रशिक्षण वर्ग के समापन पर विश्व हिंदू परिषद के प्रांत अध्यक्ष के. पी. सिंह, प्रांत अध्यक्ष, ने महिला प्रशिक्षुओं को सेवा कार्यों में समर्पित होने का मंत्र दिया।
इससे पूर्व विश्व हिंदू परिषद, सेवा विभाग द्वारा प्रयागराज वि.हि.प. कार्यालय केसर भवन में त्रिदिवसीय संस्कार शाला आचार्य प्रशिक्षण वर्ग का शुभारंभ विहिप के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री अजेय पारीक ने दीप प्रज्वलन कर किया । साथ में विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त क्षेत्र सेवा प्रमुख राधेश्याम द्विवेदी, संयुक्त प्रांत सेवा प्रमुख राकेश श्रीवास्तव एवं डॉ अम्बालिका मिश्रा प्रवक्ता, जायस ने भी दीप जलाकर माँ शारदा को पुष्पांजलि अर्पित की। समापन अवसर पर मुख्य रूप से अनिल कुमार सिंह, प्रांत सेवा प्रमुख, सुनील पांडे, कार्यकारिणी सदस्य, विष्णु श्रीवास्तव तथा आनंद चटर्जी आदि उपस्थित रहे।’
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(Udaipur Kiran) / रामबहादुर पाल