सोनीपत, 19 दिसंबर (Udaipur Kiran) । दीनबंधु
छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल में राजश्री से राजर्षि तक
विषय पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम पुण्य श्लोका देवी अहिल्याबाई
होल्कर के योगदान को समर्पित था। मुख्य अतिथि उत्तर क्षेत्र सामाजिक समरसता संयोजक
प्रमोद थे और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्री प्रकाश सिंह ने अध्यक्षता की।
उत्तर
क्षेत्र सामाजिक समरसता संयोजक प्रमुख वक्ता प्रमोद ने गुरुवार को कहा कि रानी अहिल्याबाई
ने लोकमाता के रूप में कार्य करते हुए अपने राज्य और राष्ट्र के विकास के लिए अनूठे
प्रयास किए। उन्होंने महिलाओं के लिए स्कूल और कुटीर उद्योग स्थापित कर उन्हें आर्थिक
रूप से सक्षम बनाया। विधवा महिलाओं को बच्चा गोद लेने की स्वतंत्रता दी और दहेज प्रथा
के खिलाफ सख्त प्रावधान लागू किए। रानी
ने महेश्वर नामक शहर बसाया, जिसमें सिल्क उत्पादन और साड़ी निर्माण का कार्य शुरू किया।
गुजरात से विशेषज्ञों को बुलाकर व्यापारियों को बसाया गया, जिससे आज भी महेश्वर की
साड़ियां विश्वविख्यात हैं। रानी अहिल्याबाई का मानना था कि प्रकृति का संरक्षण अत्यंत
आवश्यक है। उन्होंने किसानों को 20 फलदार वृक्ष लगाने का आदेश दिया और राज्य द्वारा
आर्थिक सहायता दी। पशु-पक्षियों के लिए खेत खाली छोड़ने की व्यवस्था की और किसानों
को इसके बदले आर्थिक सहायता प्रदान की।
इंदौर
को स्वच्छ रखने की परंपरा रानी के काल से शुरू हुई। उन्होंने नदियों के पानी को स्वच्छ
बनाए रखने के लिए नहरें बनवाईं। भूमिहीन किसानों को कृषि योग्य भूमि आबंटित की और चेक
डैम बनाकर पानी की समस्या का समाधान किया। कुलपति प्रो. श्री प्रकाश सिंह ने कहा कि
इस व्याख्यान से विद्यार्थियों को इतिहास से प्रेरणा लेने और राष्ट्र निर्माण में योगदान
देने की प्रेरणा मिलेगी। रानी
अहिल्याबाई का जीवन और कार्य आज भी सामाजिक समरसता और राष्ट्र सेवा का अद्वितीय उदाहरण
प्रस्तुत करते हैं। कार्यक्रम
के आयोजक डा. प्रदीप सिंह, प्रो.अशोक कुमार शर्मा, प्रो. विजय शर्मा, प्रो. सुखदीप
सिंह, डिप्टी रजिस्ट्रार डा.जगवेंद्र सिंह, देवानंद व पवनखत्री आदि उपस्थित थे।
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(Udaipur Kiran) परवाना