जम्मू, 18 दिसंबर (Udaipur Kiran) । बुधवार को श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय, एसएमवीडीयू में दर्शन और संस्कृति विद्यालय (एसओपीसी) और भाषा और साहित्य विद्यालय (एसओएलएंडएल) द्वारा वेदों के दर्शन और भारतीय संस्कृति की वैदिक जड़ों शीर्षक से एक विचारोत्तेजक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में वेदों के कालातीत ज्ञान और भारतीय संस्कृति, दर्शन और विरासत पर इसके स्थायी प्रभाव का जश्न मनाया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि, एसएमवीडीयू के कुलपति प्रो. प्रगति कुमार के उद्घाटन भाषण से हुई जिन्होंने वैदिक दर्शन की समकालीन प्रासंगिकता पर वाक्पटुता से चर्चा की। मुख्य भाषण पद्मश्री पुरस्कार विजेता प्रोफेसर विश्वमूर्ति शास्त्री ने दिया जिनकी गहन अंतर्दृष्टि वेदों में निहित सार्वभौमिक और शाश्वत मूल्यों पर प्रकाश डालती है।
सेमिनार में जम्मू और कश्मीर सरकार के आयुक्त/सचिव संजीव वर्मा का भी सम्मानित अतिथि के रूप में स्वागत किया गया। उन्होंने डोगरी भाषा और संस्कृति की वैदिक जड़ों पर प्रकाश डाला और क्षेत्र से समृद्ध उदाहरण प्रस्तुत किए। भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के क्षेत्रीय निदेशक प्रोफेसर दिलीप कुमार ने विभिन्न क्षेत्रों में वैदिक दर्शन के अनुप्रयोगों पर एक अंतःविषय दृष्टिकोण प्रदान किया।
सेमिनार का संचालन एसओपीसी के प्रमुख डॉ. मधु मंगल चतुर्वेदी, एसओएलएंडएल के प्रमुख डॉ. अनुराग कुमार, सुमंत सारथी शर्मा और डॉ. ईशा मल्होत्रा ने सहजता से किया। डॉ. उदय पठानिया ने धन्यवाद ज्ञापन दिया और कार्यक्रम का शानदार समापन किया। कार्यक्रम में विभिन्न विषयों के विद्वानों, छात्रों और शिक्षकों ने सक्रिय भागीदारी की। उल्लेखनीय उपस्थित लोगों में एसएमवीडीयू के वित्त अधिकारी नीरज गुप्ता, शोध एवं विकास के डीन डॉ. विनीत त्यागी और वैदिक अध्ययन के संकाय सदस्य जैसे डॉ. अनीश कुमार और डॉ. शशि कुमार शामिल थे।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा