नागदा, 18 दिसंबर (Udaipur Kiran) । उज्जैन जिले में स्थित औद्योगिक नगर नागदा में बिड़ला घराना के बंद पड़े भारत कॉमर्स की भूमि का मामला बुधवार को अंताराकित प्रश्न के माघ्यम से विधानसभा में उठा। यह मामला मंदसौर जिले के गरोठ विधानसभा के भाजपा विधायक चंदरसिंह सिसौदिया ने उठाया। राजस्व मंत्री करणसिंह वर्मा ने खुलासा किया कि इस भूमि का विवाद मप्र शासन एवं ग्रेसिम के बीच इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैै। उच्च न्यायलय इंदौर में इस भूमि को लेकर ग्रेसिम के पक्ष में निर्णय आया था। यह निर्णय आदेश 3 अप्रैल 2018 को हुआ। इसी आदेश को खिलाफ मप्र शासन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। जवाब में राजस्व मंत्री ने यह भी बताया गया कि इस भूमि पर यथा स्थिति आदेश के प्राप्ति के लिए महाधिवक्ता से पत्राचार किया गया है।
विधायक ने इस मामले में यह प्रश्न किया थाकि ग्रेसिम ने इस भूमि पर निर्माण कर न्यायलय की अवमानना की है। जवाब मिला कि उच्च न्यायलय द्धारा ग्रेसिम के खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं किया गया है। इसलिए न्यायलय अवमानना का सवाल नहीं है। विधायक का यह भी सवाल थाकि इस भूमि पर ग्रेसिम के खिलाफ कोई जनहित में शिकायत प्राप्त हुई तो उस पर निष्कर्ष की जानकारी भी मांगी गई थी। जवाब में यह स्पष्ट किया गया कि शिकायत की जांच राजस्व निरीक्षक एंव पटवारी के संयुक्त जाचं दल ने की थी। जांच में यह पाया गया कि गांव मेहतवास स्थित भूमि सर्व नंबर 321 रकबा 0.0420 हैक्टर पर ग्रेसिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्धारा लिक्विड डिस्चार्ज प्लांट के भाग का निर्माण किया जाना पाया गया।
195 हैक्टर भूमि का मामला
प्रमाणित दस्तावेजों के मुताबिक ग्रेसिम एवं मप्र शासन के बीच इस 195. 432 हैक्टर भूमि के स्वामित्व को लेकर विवाद सुप्रीम कोर्ट में जारी है। यह सारी भूमि करोड़ो की है। इस भूमि को तत्कालीन अपर कलेक्टर उज्जैन पवन जैन ने 17 सितंबर 2014 में शासकीय घोषित किया था। उसके बाद 18 सितंबर 2014 को तत्कालीन नागदा तहसीलदार ममता पटेल ने इस भूमि पर शासन का कब्जा कर पालन प्रतिवेदन कलेक्टर को प्रेषित किया। इस कब्जे को चुनोती देने के कोई भी प्रमाण तहसील कार्यालय नागदा में उपलब्घ नहीं है।
रिवयू पिटीशनं ग्रेसिम के पक्ष में
बाद में यह प्रकरण विभिन्न अदालत से गुजरते हुए पहुंचा और डबल बैच में शासन के पक्ष में निर्णय हुआ। शासन के इस निर्णय के खिलाफ ग्रेसिम ने रिव्युपिटीशन दायर की और यहां पर ग्रेसिम के पक्ष में निर्णय आया। इसी निर्णय के खिलाफ शासन अब सुप्रीम कोर्ट पहुुॅचा है। मप्र शासन के प्रमुख सचिव राजस्व , कलेक्टर उज्जैन, एसडीओ राजस्व नागदा एवं तहसीलदार सुप्रीम कोर्ट में पिटीशनर है।
सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण मोशन हियरिंग के लिए 2019 सें विचाराधीन है। इस भूमि पर इन दिनों ग्रेसिम के द्धारा निर्माण कार्य को लेकर कुछ शिकायतें हुई है। इन शिकायतों में यह मामला उठाया गया कि मप्र शासन ने 18 सितंबर को जब भूमि पर कब्जा कर लिया और उसको कोई चुनौती नहीं मिली ऐसी स्थिति में ग्रेसिम इस भूमि पर माल -गोदाम आदि का निर्माण कैसे कर रही है।
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(Udaipur Kiran) / कैलाश सनोलिया