जम्मू, 17 दिसंबर (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर सरकार पर हिंदी और संस्कृत के साथ भर्ती में भेदभाव का आरोप लगाते हुए एबीवीपी के नेतृत्व में सैकड़ों छात्रों ने मंगलवार को विरोध मार्च निकाला और जम्मू राजमार्ग पर मुख्य तवी पुल को अवरुद्ध करते हुए धरने पर बैठ गए।
प्रदर्शनकारियों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली सरकार पर जम्मू और कश्मीर लोक सेवा आयोग द्वारा 1052 लेक्चरर पदों के लिए हाल ही में जारी की गई भर्ती अधिसूचना में हिंदी और संस्कृत को दरकिनार करने का आरोप लगाया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार अरबी और फारसी जैसी विदेशी भाषाओं को बढ़ावा दे रही है जिन्हें भर्ती अधिसूचना में शामिल किया गया है।
तख्तियां लेकर और नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने जम्मू विश्वविद्यालय से शहर के माध्यम से मार्च किया जिसे उन्होंने क्षेत्रीय और भाषाई भेदभाव के रूप में वर्णित किया।
एबीवीपी नेता सुरिंदर सिंह ने कहा कि यह वर्तमान सरकार द्वारा क्षेत्रीय और भाषाई भेदभाव है। हिंदी और संस्कृत जैसी राष्ट्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के बजाय उन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है। ये भाषाएं हमारी पहचान का हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा कि हम किसी भाषा के खिलाफ नहीं हैं लेकिन सरकार द्वारा हिंदी और संस्कृत की जगह अरबी और फारसी जैसी विदेशी भाषाओं को प्राथमिकता देना एक सुनियोजित साजिश है। यह हमारी सभ्यता पर हमला है और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। एबीवीपी नेता अनीता देवी ने भी इसी तरह की भावनाओं को दोहराते हुए कहा कि यह सिर्फ भर्ती के बारे में नहीं है, यह हमारी सांस्कृतिक पहचान की लड़ाई है। प्रदर्शनकारी छात्रों ने 12 नवंबर को जेकेपीएससी द्वारा जारी नोटिस में हिंदी और संस्कृत व्याख्याता पदों को छोड़ देने पर निराशा व्यक्त की जबकि 575 अन्य शिक्षण पदों के लिए विज्ञापन दिया गया था।
प्रदर्शनकारियों में से एक ने कहा कि हम शिक्षा मंत्री सकीना इटू को दोषी ठहराते हैं और उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार को चेतावनी देते हैं कि जम्मू में छात्र इसे चुपचाप स्वीकार नहीं करेंगे। इस सरकार की कश्मीर-केंद्रित नीतियां अस्वीकार्य हैं और हम इस भेदभाव का डटकर मुकाबला करेंगे। कई प्रदर्शनकारी छात्रों ने गिरफ्तारी दी और धरना जारी रहा जबकि वरिष्ठ पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उनसे नाकाबंदी हटाने के लिए कहा। कई प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया। भाजपा और जम्मू के कई संगठनों ने सरकार के इस कदम की निंदा की है और गंभीर नतीजों की चेतावनी दी है।
भाजपा विधायक विक्रम रंधावा ने कहा कि एनसी सरकार ने अभी-अभी सत्ता संभाली है और उसने जम्मू के युवाओं की वैध आकांक्षाओं को दरकिनार करते हुए अपनी कश्मीर-केंद्रित नीतियों को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। यह अस्वीकार्य है और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। रंधावा ने जेकेपीएससी से हिंदी के लिए 200 पद और डोगरी, पंजाबी और संस्कृत के लिए कम से कम 20 पद जोड़कर क्षेत्रीय भाषाओं के लिए उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
(Udaipur Kiran) / सुमन लता