कोलकाता, 17 दिसंबर (Udaipur Kiran) । तृणमूल कांग्रेस द्वारा 2021 के चुनावों में ‘बंगाली अस्मिता’ का नारा देने के बाद, भाजपा ने अब इसके जवाब में ‘भाषाई अल्पसंख्यकों’ को एकजुट करने की रणनीति बनाई है। इस सिलसिले में आगामी रविवार को धर्मतला में एक रैली का आयोजन किया जा रहा है। इस रैली का आह्वान ‘वेस्ट बंगाल लैंग्विस्टिक माइनॉरिटी एसोसिएशन’ नामक संगठन ने किया है, लेकिन इसके पीछे भाजपा का हाथ होना स्पष्ट है।
इस संगठन के मुख्य कर्ता-धर्ता भाजपा नेता अर्जुन सिंह और जितेंद्र तिवारी हैं। अर्जुन सिंह बैरकपुर के पूर्व सांसद हैं, जबकि जितेंद्र तिवारी आसनसोल के पूर्व विधायक। दोनों ही भाजपा के कद्दावर नेता हैं और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के करीबी माने जाते हैं।
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‘बंगाली-अबंगाली’ विभाजन का मुद्दा
अर्जुन सिंह का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस ‘बंगाली-अबंगाली’ के बीच भेदभाव कर रही है। उनका आरोप है कि राज्य सरकार ने कई स्कूलों में दूसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाए जाने को बंद करवा दिया है। अर्जुन ने कहा कि हम तृणमूल की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और भविष्य में भी इस लड़ाई को जारी रखेंगे।
शुभेंदु अधिकारी का कहना है कि तृणमूल का ‘बंगाली-अबंगाली’ का नारा राज्य में हिंदुओं को विभाजित करने की कोशिश है। भाजपा चाहती है कि हिंदू वोट एकजुट हों, जबकि तृणमूल की राजनीति धार्मिक अल्पसंख्यकों के वोट बैंक पर आधारित है। ऐसे में भाजपा ने ‘भाषाई अल्पसंख्यकों’ को जोड़ने की रणनीति बनाई है, ताकि तृणमूल के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सके।
हाल ही में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी दिघा में बन रहे जगन्नाथ मंदिर का दौरा किया था। इससे भाजपा के ‘हिंदुत्व’ एजेंडे को कमजोर करने की कोशिश की गई। ममता के इस कदम को कई राजनीतिक विश्लेषकों ने ‘मास्टरस्ट्रोक’ करार दिया।
भाजपा पर तृणमूल अक्सर ‘बंगाल विरोधी’ होने का आरोप लगाती रही है। भाजपा के नेताओं द्वारा गलत उच्चारण, बंगाल के इतिहास और संस्कृति की जानकारी के अभाव को लेकर तृणमूल ने भाजपा को कई बार घेरा है। लेकिन, दूसरी ओर, ममता बनर्जी ने भी छठ पूजा जैसे त्योहारों पर दो दिन की छुट्टी देकर बडा संदेश दिया है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर