नई दिल्ली, 17 दिसंबर (Udaipur Kiran) । अत्याधुनिक स्वदेशी दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकसित करने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाते हुए दूरसंचार विभाग (डॉट) ने अहम कदम उठाया है। डॉट के प्रमुख दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र-सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट) ने ‘लियो सैटेलाइट घटकों और जीएनएसए आरएफ फ्रंट एंड के डिजाइन तथा विकास’ के लिए सिलिजियम सर्किट्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौता किया है।
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मंगलवार को जारी एक बयान में बताया कि दूरसंचार विभाग की दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) योजना के तहत इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते पर हस्ताक्षर के लिए आयोजित समारोह में सी-डॉट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डॉ. राजकुमार उपाध्याय, सिलिजियम सर्किट के सह-संस्थापक और सीईओ रिजिन जॉन, सी-डॉट के निदेशक डॉ. पंकज कुमार दलेला एवं शिखा श्रीवास्तव और दूरसंचार विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डीडीजी (टीटीडीएफ) डॉ. पराग अग्रवाल और डीडीजी (एसआरआई) विनोद कुमार उपस्थित थे।
इस अवसर पर सी-डॉट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने संचार जरूरतों के लिए स्वयं के चिप्स विकसित करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने अपने संबोधन में परियोजना कार्यान्वयन के दौरान इसके बुनियादी ढांचे सहित सी-डॉट की मदद पर बल दिया। मंत्रालय ने कहा कि स्टार्टअप, शिक्षा और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को कोष उपलब्ध कराने के लिए तैयार की गई यह योजना, दूरसंचार उत्पादों और समाधानों के डिजाइन, विकास और व्यावसायीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसका उद्देश्य किफायती ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाओं को सक्षम करना है, जो पूरे भारत में डिजिटल अंतर को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
मंत्रालय ने कहा कि दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीटीडीएफ) की मदद से सिलिजियम सर्किट लियो उपग्रह घटकों के लिए उन्नत सेमीकंडक्टर समाधान विकसित करने के लिए तैयार है। डॉट के मुातबिक इस पहल का उद्देश्य बिजली दक्षता, उच्च गति डेटा संचरण और मजबूत सिग्नल अखंडता जैसी प्रमुख चुनौतियों का समाधान करके भारत के उपग्रह संचार तंत्र में नवाचार को बढ़ावा देना है। एनालॉग, आरएफ और मिश्रित-सिग्नल प्रौद्योगिकियों में अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए सिलिज़ियम सर्किट उच्च प्रदर्शन, विश्वसनीय संचार प्रणालियों के निर्माण में योगदान देगा।
मंत्रालय ने कहा कि इसका लक्ष्य लियो उपग्रह अवसंरचना परियोजनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को आधार देना है, जो वैश्विक बाजार और आत्मनिर्भरता, भविष्य के लिए तैयार उपग्रह संचार नेटवर्क के लिए भारत के दृष्टिकोण दोनों को पूरा करता है जो शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बढ़ाता है और अत्याधुनिक ब्रॉडबैंड सेवाओं को आगे बढ़ाता है।
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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर