बिना उबाले गोसीपोल हटाने से तेल के प्राकृतिक गुण बने रहते है: कुलपति कम्बोजहिसार, 16 दिसंबर (Udaipur Kiran) । हिसार स्थित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने कपास बीज उत्पादों से गोसीपोल को हटाने के लिए एक रासायनिक प्रक्रिया में पेटेंट हासिल किया है। पेटेंट का भारत सरकार की ओर से प्रमाण-पत्र मिल गया है। भारत सरकार के पेटेंट नियंत्रक की ओर से जैव रसायन, कपास अनुभाग, आनुवंशीकी और पौध प्रजनन विभाग द्वारा विकसित इस तकनीक को पेटेंट संख्या 555667 प्रदान की गई है। पेटेंट कार्य में डॉ. शिवानी मानधनिया, डॉ. राजबीर सांगवान और डॉ. अरुण ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।कुलपति प्रो बीआर कम्बोज ने सोमवार को कहा कि विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है कि कपास के तेल से हानिकारक गोसीपोल योगीक को हटाने का पेटेंट विश्वविद्यालय को प्राप्त हुआ है। इससे यह तेल खाने के लिए उपयुक्त हो जाता है। गोसीपोल युक्त तेल खाने से मानव शरीर को हानि पहुचती है। गोसीपोल युक्त तेल के सेवन से सांस लेने में तकलीफ, शरीर के वजन में कमी और कमजोरी आदि के लक्षण दिखाई देते हैं। कपास के तेल से गॉसीपोल के दोनों स्टीरियोआइसोमर्स को हटाना इसके सेवन के लिए अति आवश्यक है।पेटेंटकर्ता वैज्ञानिक डॉ. शिवानी मानधनिया ने गोसीपोल हटाने की तकनीकी जानकारी साझा करते हुए बताया कि बिनौले के तेल को कार्बनिक विलायक के साथ मिलाया जाता है और कुछ रासायनिक यौगिकों की उपस्थिति में फिल्टर किया जाता है जो कि एक सोखना और अवशोषित करने के रूप में कार्य करता है। उन्होंने पेटेंट के विश्लेषणात्मक कार्य में प्रयुक्त उपकरण की खरीद हेतु धनराशि उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), हरियाणा सरकार का आभार व्यक्त किया।ये है पेटेंट की विशेषताए
1. इस प्रक्रिया के विशेष गुण यह हैं कि इसमें तेल को बिना उबाले गोसीपोल को हटाया जाता है जिससे कपास के तेल के प्राकृतिक गुण बने रहते है:
2. गोसीपोल के दोनों आइसोमर्स (+ और -) को हटाने के अलावा, बिनौले के तेल से कुछ भारी धातुओं को भी हटाया गया है,
3. इस प्रक्रिया को आम आदमी भी आसानी से न्यूनतम संसाधन की सहायता से गोसीपोल को हटा सकता है।
गैर पारंपरिक खाद्य तेलों में कपास के बीज का तेल अपने उच्च पोषक मूल्य, उच्च स्मोक पॉइंट और विटामिन ई की उपस्थिति के कारण सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। गत वर्ष 2023 में लगभग 1.36 मिलियन मैट्रिक टन कपास के बीज के तेल का उपयोग किया। कपास के बीज के तेल का उपयोग आमतौर पर खाद्य उत्पादों, सलाद ड्रेसिंग और मार्जरीन के प्रकारों के उत्पादन के लिए किया जाता है।कपास अनुभाग के प्रमुख डॉ. करमल सिंह ने बताया कि यह उपलब्धि वैज्ञानिकों को कपास में बेहतर शोध कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। इस अवसर पर ओएसडी डॉ. अतुल ढीगडा, अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग, एसवीसी कपिल अरोडा, मीडिया एडवाइजर डॉ. संदीप आर्य, डॉ. एसआर पुंडीर, डॉ. सोमवीर सिंह, डॉ. अनिल, डॉ. अनिल सैनी, डॉ. संदीप, डॉ. मीनाक्षी व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर