Madhya Pradesh

उप मुख्यमंत्री देवड़ा, शुक्ल और मंत्री उइके ने पद्मश्री बैगा चित्रकार जोधइया बाई के निधन पर जताया शोक

भोपाल, 16 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उइके ने पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ बैगा चित्रकार जोधइया बाई के निधन पर गहन शोक व्यक्त किया। 86 वर्षीय जोधइया बाई, विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय की वरिष्ठ चित्रकार थीं। मध्य प्रदेश के बैगा बहुल गाँव लोढ़ा, जिला उमरिया की निवासी जोधड्या बाई को 22 मार्च, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कला क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष 2022 में भी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जोधइया बाई को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था।

उप मुख्यमंत्री देवड़ा ने अपने शोक संदेश में कहा कि जोधइया बाई ने अपना सफर जनजातीय कला को रंगों से सजाने से शुरू किया। उनके चित्रों में स्थानीय देवी देवताओं, पशु-पक्षियों की झलक देखने को मिलती है। चित्रों का रंग संयोजन इतना आकर्षक होता है कि देखने वाले बस देखते रह जाते हैं। उन्होंने बताया कि प्रारंभ में उनके जीवन का लम्बा समय अभावों में मजदूरी करते हुए बीता।

देवड़ा ने कहा कि जोधइया बाई पढ़ी-लिखी नहीं थीं और ना ही वे कला के मानकों मूल्यों के बारे में कुछ जानती हैं। उनकी अद्भुत कला-प्रतिभा को संसार के समक्ष लाने का श्रेय एक स्थानीय कला प्रेमी आशीष स्वामी को जाता है। स्वामी ने उनकी चित्रकारी को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए इटली की गैलेरिया फ्रांसिस्को जनूसो संस्था से संपर्क किया। इटली के मिलान से लेकर फ्रांस, इंग्लैंड, अमेरिका और जापान तक श्रीमती जोधइया बाई की चित्रकला प्रदर्शित हो चुकी है। उप मुख्यमंत्री देवड़ा ने दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और शोक संतप्त परिवार को दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने भी बैगा चित्रकार पद्मश्री जोधइया बाई के निधन पर शोक व्यक्त किया। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि पद्मश्री जोधइया बाई ने अपनी अद्वितीय कला और कौशल से न केवल बैगा जनजातीय संस्कृति को संरक्षित किया, बल्कि उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी कलाकृतियां भारतीय परंपराओं, जनजातीय जीवन और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण हैं, जिनके माध्यम से उन्होंने दुनिया को जनजातीय जीवन का अनूठा दर्शन कराया।

शुक्ल ने कहा कि पद्मश्री जोधइया बाई का योगदान हमारी सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करने में मील का पत्थर साबित हुआ है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। उनकी इस अप्रतिम यात्रा और योगदान को सदैव स्मरण किया जाएगा। उन्होंने दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और शोकाकुल परिवार को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उइके ने जोधइया बाई के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि जोधइया बाई ने अपनी विशिष्ट कला और अद्भुत कौशल से न केवल बैगा जनजातीय संस्कृति को संरक्षित किया, बल्कि उसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाकर भारत की सांस्कृतिक धरोहर को गौरवान्वित किया। उइके ने कहा कि पद्मश्री जोधइया बाई की कलाकृतियां जनजातीय जीवन की गहराइयों और हमारी सांस्कृतिक विविधता का अद्वितीय चित्रण करती हैं। उनके कार्यों ने न केवल हमारी परंपराओं को संरक्षित किया, बल्कि उन्हें एक नई ऊर्जा और पहचान भी दी। उनका योगदान हमारी सांस्कृतिक धरोहर के लिए मील का पत्थर है और यह सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा।

मंत्री उइके ने जोधइया बाई को एक सशक्त सांस्कृतिक प्रतीक बताते हुए कहा कि उन्होंने जनजातीय जीवन की सौंदर्य शास्त्र को अपनी कला में संजोया और इसे पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत किया। उनकी यह विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी। उइके ने ईश्वर से प्रार्थना की है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और शोक संतप्त परिवार को इस असीम दुःख को सहने की शक्ति दें।

(Udaipur Kiran) / उम्मेद सिंह रावत

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