Jammu & Kashmir

एक राष्ट्र, एक चुनाव को लागू करने की अवधारणा देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाएगी – तारिगामी

जम्मू, 14 दिसंबर (Udaipur Kiran) । वरिष्ठ सीपीआई (एम) नेता एम वाई तारिगामी ने शनिवार को केंद्र के एक राष्ट्र, एक चुनाव को लागू करने के कदम का विरोध करते हुए कहा कि यह अवधारणा भारत के विचार की भावना के विरुद्ध है और देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाएगी।

उन्होंने सभी से इस जनविरोधी निर्णय के खिलाफ अपनी राजनीतिक संबद्धता से ऊपर उठने की अपील की। जम्मू में पत्रकारों से बात करते हुए तारिगामी ने जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने में हो रही देरी पर भी अपनी नाराजगी जताई और भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र से केंद्र शासित प्रदेश में दोहरी सत्ता प्रणाली को समाप्त करके क्षेत्र के लोगों के फैसले का सम्मान करने का आग्रह किया।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता ने कहा कि हमारी राय में एक राष्ट्र, एक चुनाव की अवधारणा भारत के विचार और उसके संघीय ढांचे की भावना के खिलाफ है जो देश की विशाल विविधताओं को संरक्षण दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यह लोकतांत्रिक तत्व ही विभिन्न संस्कृतियों, पहचानों और धार्मिक विश्वासों को मजबूत करता है और देश को एक साथ रखता है।

तारिगामी ने कहा कि ये विविधताएं भारत का असली चेहरा और असली ताकत हैं जिसने देश को विघटित करने के अतीत के सभी प्रयासों को विफल करने में मदद की है। देश की नींव मजबूत है और इसकी संरचनाएं समृद्ध होने के लिए इन विविधताओं पर निर्भर हैं। उन्होंने विविधता को मजबूत करने के उपायों की मांग की। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव की यह अवधारणा देश के लिए अच्छी नहीं है।

भाजपा के खिलाफ अपना हमला जारी रखते हुए तारिगामी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सरकार के गठन से पहले उपराज्यपाल को अधिक अधिकार दिए गए थे इससे केंद्र की मंशा पर प्रकाश पड़ता है। उन्होंने कहा कि लोगों ने अपना जनादेश दिया है तो आप इस दोहरी शक्ति वाली रणनीति से क्या हासिल करना चाहते हैं? क्या इससे लोकतंत्र मजबूत होगा? लोगों के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि लोकतंत्र में उनका विश्वास बरकरार रहे।

(Udaipur Kiran) / सुमन लता

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