लखनऊ, 14 दिसंबर (Udaipur Kiran) । पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजी करण के मुद्दे पर कर्मचारी संगठनों का विरोध लगातार जारी है। एक तरफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ उ०प्र० तो वहीं दूसरी तरफ उप्र राज्य उपभोक्ता परिषद भी लगातार विरोध कर रहा है। उपभोक्ता परिषद का शनिवार को हुए वेबिनार में उपभोक्ताओं ने जमकर भड़ास निकाला। उपभोक्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री के क्षेत्र की बिजली व्यवस्था ही निजी हाथों में जा रही है। इससे पूरे देश में गलत संदेश जाएगा। इस कारण इसे वापस लिया जाना चाहिए।
उपभोक्ताओं ने कहा बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि बिजली सस्ती नहीं बहुत सस्ती होनी चाहिए और हमेशा सरकारी क्षेत्र में होनी चाहिए लेकिन अब देश के प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र में ही हो रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने अपने सभी उपभोक्ताओं की बात पर सहमति जताते हुए कहा कि आपकी मांग बिल्कुल सही है। इस पूरी प्रक्रिया पर पुनर्विचार करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को दक्षिणांचल व पूर्वांचल का निजीकरण का फैसला वापस लेना चाहिए।
वहीं विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ वेबिनार के माध्यम से बैठक कर कहा कि निजीकरण अस्वीकार है। उन्होंने बताया कि आर०डी०एस० एस० योजना के अंतर्गत बिजली की आपूर्ति एवं बिजली चोरी में सुधार होने की संभावना है और सुधार भी हो रहा है। उसके बाद प्रबंधन को निजीकरण नहीं करना चाहिए। आर डी एस एस योजना में लाखों करोड़ों रुपए खर्च करके बिजली आपूर्ति एवं बिजली चोरी में काफी हद तक रुका है। जहाँ जहां पर बिजली निजी कंपनियों के हाथों में है वहां मुनाफा देखकर निजी कंपनियों द्वारा बिजली के दरें उत्तर प्रदेश के मुकाबले दोगुना से भी ज्यादा होंगी एवं निजीकरण से आम उपभोक्ताओं व किसानों को महंगी बिजली मिलेगी।
(Udaipur Kiran) / उपेन्द्र नाथ राय