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आने वाला समय शुष्क बागवानी का : डॉ. जगदीश राणे 

आने वाला समय शुष्क बागवानी का, संस्थान से निकाली गयी किस्मों एवं उन्नत तकनीकियों का सुनहरा भविष्य : डॉ. जगदीश राणे

बीकानेर, 14 दिसंबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. जगदीश राणे ने कहा कि आने वाला समय शुष्क बागवानी का है और यहां से निकाली गयी किस्मों एवं उन्नत तकनीकियों का सुनहरा भविष्य है। उन्होंने कहा कि देश के गर्म शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्रों में 50 से अधिक फल और सब्जी फसलें होती है जिन पर संस्थान में सतत् अनुसंधान कार्य हो रहा है।

डॉ. राणे संस्थान एवं राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मेनेज) हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में भारत के शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्रों में किसानों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान और आजीविका सुरक्षा के लिए जलवायु स्मार्ट बागवानी प्रौद्योगिकियों का प्रसार विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का ऑनलाइन माध्यम से मुख्य अतिथि पद से बोल रहे थे। प्रशिक्षण में देश के करीब 10 राज्यों के 60 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि जल का समुचित उपयोग करने के लिए सीमित पानी के प्रयोग से अधिक उपज वाली किस्मों का विकास हमारी प्राथमिकता रहती है। संस्थान ने गर्म क्षेत्रों के लिए अनुकूलित करीब 60 किस्मों का विकास किया है जिनके कारण देश के शुष्क क्षेत्रों में बागवानी फसलों को बढ़ावा मिल रहा है।

उद्घाटन सत्र में स्वागत करते हुए मेनेज हैदराबाद से प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. श्रीलक्ष्मी सी. ने कहा कि शुष्क और अर्धशुष्क में उगाए जाने वाली फल व सब्जी फसलों की जलवायु अनुकूल किस्में और तकनीकियां विकसित करने में संस्थान का महत्वपूर्ण स्थान है।

प्रशिक्षण के स्थानीय समन्वयक और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एस.आर.मीना ने प्रशिक्षण की रुपरेखा को विस्तारपूर्वक बताया।

प्रधान वैज्ञानिक डॉ. धुरेंद्र सिंह ने कहा कि शुष्क बागवानी उगाए जाने वाले फल व सब्जियों जैसे बेर, अनार, खजूर, बेलपत्र, आंवला, पिलु, लसोड़ा, करोंदा, फालसा, काचरी, काकडिय़ा, मतीरा, तोरई, बैगन इत्यादि की वैज्ञानिक तरीके से खेती कर जलवायु परिवर्तन जैसी बड़ी चुनौती का सामना किया जा सकता है।

संस्थान के वैज्ञानिक रुपचंद बलाई, डॉ. हनुमानराम भी मौजूद थे।

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(Udaipur Kiran) / राजीव

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