देहरादून, 13 दिसंबर (Udaipur Kiran) । आयुर्वेद जो हजारों सालों से भारतीय जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा रहा है, अब अपने प्रामाणिक रूप में जल्द ही देशभर के बाजारों में उपलब्ध होगा। प्रामाणिक आयुर्वेदिक नुस्खों के अनुसार तैयार भोजन और स्नैक्स जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे कुपोषण, मधुमेह और उच्च रक्तचाप से बचाव में सहायक होंगे। इस पहल के तहत 700 से अधिक पारंपरिक व्यंजन और फॉर्मूलेशन तैयार किए जाएंगे, जो न केवल भारतीय पारंपरिक आहार को पुनर्जीवित करेंगे, बल्कि अस्वास्थ्यकर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का मुकाबला भी करेंगे। आयुर्वेदिक आहार का यह नया खंड न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि भारतीय आहार परंपराओं को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाएगा।
प्रामाणिक आयुर्वेदिक नुस्खों के अनुसार तैयार भोजन और स्नैक्स जल्द ही देश भर के बाजारों में उपलब्ध होंगे, जो जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे कुपोषण, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के बोझ को कम करने में मदद करेंगे। शुक्रवार को 10वें विश्व आयुर्वेद सम्मेलन (डब्ल्यूएसी) के एक सत्र में आयुर्वेद आहार: फूड इज मेडीसिन, बट मेडीसिन इज नॉट फूड (भोजन औषधि है, लेकिन औषधि भोजन नहीं है) विषय पर चर्चा के दौरान आयुर्वेदिक भोजन और स्नैक्स के उत्पादन और विपणन के तौर-तरीकों पर प्रकाश डाला गया। इस सत्र में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद डीम्ड यूनिवर्सिटी (एनआईएडीयू), जयपुर की पूर्व कुलपति प्रोफेसर मीता कोटेचा, ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद नई दिल्ली की निदेशक प्रोफेसर तनुजा नेसारी और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद जयपुर के प्रोफेसर अनुपम श्रीवास्तव सहित अन्य प्रमुख विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
ये पैनल खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSA) और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। विशेषज्ञों ने बताया कि आयुर्वेदिक ग्रंथों का अनुसरण करते हुए 700 से अधिक आयुर्वेदिक व्यंजन तैयार किए जाएंगे, जिनमें से कुछ व्यंजन शर्तों के तहत बदलाव की अनुमति देंगे, ताकि उन्हें आधुनिक बाजार की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार किया जा सके।
इस पहल के माध्यम से भारत के पारंपरिक खाद्य पदार्थों को पुनर्जीवित किया जाएगा, जो अब तक बाजार में अस्वास्थ्यकर प्रसंस्कृत उत्पादों की बाढ़ में खो गए थे। इसके तहत आयुर्वेद आहार विनियम 2022 और अन्य संबंधित कानूनों का पालन करते हुए खाद्य सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश तैयार किए जा रहे हैं, जो जल्दी ही सार्वजनिक क्षेत्रों में उपलब्ध होंगे।
पैनल ने यह भी बताया कि वर्तमान में बाजार में उपलब्ध अधिकांश तथाकथित आयुर्वेदिक खाद्य पदार्थ वास्तविक आयुर्वेदिक मानकों के अनुरूप नहीं होते। प्रोफेसर कोटेचा ने कहा कि यह पहल न केवल विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित विकास लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगी, बल्कि यह कुपोषण, भूख और मोटापे की समस्याओं से भी निपटेगी।
प्रोफेसर नेसारी ने कहा कि प्रस्तावित आयुर्वेदिक खाद्य क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं और इसे नवीनतम खाद्य प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही आयुर्वेद और पोषण विशेषज्ञों की मदद से भोजन और स्नैक्स को तैयार किया जाएगा, जो सदियों पुरानी भारतीय परंपराओं के सिद्धांतों के अनुरूप होंगे।
इस पहल के तहत, आयुर्वेदिक भोजन को फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) सेक्टर की तर्ज पर विपणित किया जाएगा और यह डोर डिलीवरी (ग्राहक के घर तक) सेवा के साथ-साथ स्टार होटलों और अन्य भोजनालयों में भी उपलब्ध होगा।
(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण