Uttrakhand

वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस में विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर साझा किए बहुमूल्य अनुभव 

 (Udaipur Kiran) ।

– आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने और जनमानस तक पहुंच सुलभ बनाने के उपायों पर चर्चा

देहरादून, 13 दिसंबर (Udaipur Kiran) । 10वें वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो के दूसरे दिन शुक्रवार को परेड ग्राउंड में देश-विदेश के आयुर्वेद विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर अपने अनुभव साझा किए। इस सेशन में आयुर्वेद के क्षेत्र में नए शोध, अनुसंधान और आम जनता तक आयुर्वेद की पहुंच को बढ़ाने के उपायों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया।

प्लेनेटरी सेशन के तहत न्यू एज संहिता पर पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसमें पैनलिस्ट उपेंद्र दीक्षित (गोवा), अभिजीत सराफ (नासिक) और श्री प्रसाद बावडेकर (पुणे) ने विचार रखे। उन्होंने आयुर्वेद को आम जनमानस के बीच कैसे लोकप्रिय बनाया जाए, इस पर चर्चा की। पैनलिस्टों ने बताया कि आयुर्वेद में हो रहे नए शोध और रचनाओं को सरल भाषा में और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि देश-विदेश के लोग इसे आसानी से समझ सकें और उपयोग कर सकें।

आयुर्वेद आहार पर व्याख्यान

आयुर्वेद आहार पर केंद्रित एक अन्य व्याख्यान में पैनलिस्टों ने बताया कि आहार शरीर की प्रकृति (कफ, वात, पित्त) के अनुसार होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि फूड इज़ मेडिसिन, बट मेडिसिन इज़ नॉट फूड के सिद्धांत का पालन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने सुझाव दिया कि एफएसएसआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) को खाद्य पदार्थों के सर्टिफिकेशन में आयुर्वेद आहार के मानक को भी शामिल करना चाहिए।

एविडेंस बेस्ड आयुर्वेद पर चर्चा

एविडेंस बेस्ड आयुर्वेद थीम पर पैनलिस्टों ने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में नित्य नए शोध और अनुसंधान हो रहे हैं। इन शोधों और व्यवहारिक ज्ञान को सही तरीके से जांचने और परखने के लिए एक मानक संस्था का होना आवश्यक है, ताकि जनमानस तक पहुंचने से पूर्व ज्ञान की शुद्धता सुनिश्चित की जा सके।

परंपरागत वैद्यों की गोष्ठी

परंपरागत आयुर्वेद ज्ञान रखने वाले वैद्यों की गोष्ठी में देशभर से आए वैद्यों ने अपनी समस्याएं और सुझाव साझा किए। उन्होंने बताया कि जड़ी-बूटियों के उत्पादन से लेकर उनके फूड प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और विक्रय तक उच्च लागत आती है, जबकि मुनाफा अपेक्षाकृत कम होता है। उनके अनुसार, परंपरागत वैद्यों को प्रमाण पत्र देकर उनका प्रमाणीकरण किया जाए और आयुर्वेद के ज्ञान को हर नागरिक तक पहुंचाने के लिए गांव-गांव में आयुर्वेद स्कूलों की स्थापना की जाए।

एनसीआईएमएस (राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग) सम्मेलन में लगभग 200 आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने भाग लिया। इस दौरान आयुर्वेदिक चिकित्सकों के सेवा के अवसरों, दायित्वों और अधिकारों पर विस्तृत चर्चा की गई। प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च की गई आयुष वीजा सेवा के तहत विदेशी पर्यटकों को आयुर्वेद चिकित्सा का लाभ कैसे दिया जा सकता है, इस पर भी जानकारी साझा की गई।

आयुर्वेद के लिए पंजीकरण और प्रमाणीकरण की जरूरत

भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ. जेएन नौटियाल ने आयुर्वेद चिकित्सकों को एचपीआर (हेल्थकेयर प्रोफेशनल रजिस्ट्री) पर पंजीकृत करने की आवश्यकता जताई। इसके अलावा, आयुष अस्पतालों को एनएबीएच (नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स) में पंजीकृत करने का भी सुझाव दिया। इस कदम से आयुष चिकित्सा का लाभ लेने के लिए आने वाले विदेशी पर्यटकों को बेहतर सुविधा मिल सकेगी और मेडिकल टूरिज्म में वृद्धि हो सकेगी।

(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण

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