नई दिल्ली/अलीगढ़, 12 दिसंबर (Udaipur Kiran) ।अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग में विभिन्न रिक्तपदों के लिए सामान्य चयन समिति की बैठक 23 दिसंबर को होनी है, लेकिन उक्त चयन समिति पर ही प्रश्नचिह्न लग गया है।
विभाग के शिक्षकों द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नईमा खातून को लिखे गए पत्र में चयन समिति के संचालन में अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया है। विवरण के अनुसार, एएमयू के दर्शनशास्त्र विभाग में कई विज्ञापन संख्याओंद्वारा विज्ञापित रिक्तियों को भरने के लिए चयनसमितिकीबैठकआयोजित की जा रही हैं। उक्त विज्ञापन (i) 1/2022 (T) 2 फरवरी 2022 को जारी किया गया, (ii) 2/2022 (T) 31 मई 2022 को जारी किया गया और (iii) 4/2022 (1) 6 अगस्त 2022 को जारी किया गया। विज्ञापन की तिथि से 2 वर्ष की समाप्ति के बाद उसी विज्ञापन पर चयन समिति का गठन नहीं किया जा सकता है। कार्य परिषद द्वारा अनुमोदित इन विज्ञापनों की अवधि समाप्त हो चुकी है। वास्तव में, कई विज्ञापन एक वर्ष से अधिक समय से मौजूद हैं।
ऐसे में जबकि उनके कार्यकाल के दो साल से अधिक समय बीत चुका है, चयन समिति की बैठक नहीं हो सकती है और इन रिक्तियों को भरने के लिए नए सिरे से विज्ञापन जारी किया जाना चाहिए। शिक्षकों द्वारा लिखे गए पत्र में यह भी बताया गया है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद द्वारा अनुमोदित चयन समितियों के लिए गठित किए जाने वाले विशेषज्ञों के पैनल की समय सीमा भी समाप्त हो चुकी है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि कार्यकारी परिषद की बैठक 19 अप्रैल, 2024 को आयोजित की गई थी जिस में स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि विशेषज्ञों के पैनल का कार्यकाल एक (1) वर्ष होगा जिसे कुलपति द्वारा अधिकतम छह (6) महीने तक बढ़ाया जा सकता है।
विशेषज्ञों के पैनल को कार्यकारी परिषद ने 22 मार्च, 2021 यानी साढ़े तीन साल पहले अपने प्रस्ताव के माध्यम से मंजूरी दी थी, इसलिए 23 दिसंबर को चयन समिति का आयोजन असंवैधानिक है क्योंकि कार्यकारी परिषद में विशेषज्ञों का कोई पैनल ही नहीं है, जिसे चयन समिति के लिए नामित किया गया हो। शिक्षकों द्वारा कहा गया है कि उक्त बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए दर्शनशास्त्र विभाग के पदों के लिए चयन समितियों का आयोजन नहीं किया जा सकता क्योंकि यह विश्वविद्यालय के नियमों के विरुद्ध हैं और संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन करता है।
पत्र में मांग की गई है कि दर्शन शास्त्र विभाग के रिक्त पदों को भरने के लिए चयन समितियों के आयोजन को रोका जाए और दोबारा विज्ञापन देने का निर्देश दिया जाए ताकि चयन समिति की बैठक हो सके और दर्शनशास्त्र विभाग को विशेषज्ञों का नया पैनल तैयार करने का निर्देश दिया जाए। चयन समिति विभाग के सहायक रजिस्ट्रार मुहम्मद सिराज अहमद कादरी ने बताया कि विज्ञापन की अवधि 2 वर्ष है, जिसमें विशेष परिस्थिति में कुलपति इसे 6 माह तक बढ़ा सकते हैं। उक्त मामले में जो शिकायत की गई है, उसको देखा जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / मोहम्मद शहजाद