दाैसा, 12 दिसंबर (Udaipur Kiran) । दौसा में बोरवेल में गिरे पांच साल के आर्यन की मौत बोरवेल में गिरते समय चोट लगने से नहीं, उसमें पानी का एकाएक लेवल बढ़ने से हुई। मासूम की सांस नली में पानी भरा हुआ था। शरीर में कोई फ्रैक्चर नहीं था। 160 फीट गहरे बोरवेल में 147 फीट पर फंसे बच्चे को 57 घंटे बाद बाहर निकाला गया। तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
मासूम के शव का गुरुवार सुबह पोस्टमॉर्टम हुआ।
जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी (पीएमओ) डॉ दीपक शर्मा ने बताया कि बच्चे की सांस नली में पानी भर गया था, डूबने से उसकी मौत हो गई। नाै दिसंबर को जब बच्चा बोरवेल में गिरा था। तब पानी उससे करीब छह फीट नीचे था।
इस बीच 10 दिसंबर की अलसुबह इलाके में मोटर से पानी की सप्लाई बंद हुई, जिससे बोरवेल में पानी का लेवल बढ़ा और मासूम उसमें डूब गया। इसके बाद मोटर फिर से चालू हुई तो भूजल स्तर फिर से तेजी से गिरा। ऐसे में गिरने के 20 से 21 घंटे बाद ही आर्यन की मौत हो गई थी।
किशनगढ़ के एनडीआरएफ डिप्टी कमांडेंट योगेश कुमार ने बताया कि 10 दिसंबर को तड़के तीन बजे बोरवेल में फंसे बच्चे के शरीर में अंतिम बार हलचल देखी गई थी। जबकि 10 दिसंबर को सुबह नाै बजे बोरवेल में कैमरा डालने के दौरान बच्चे की बॉडी में मूवमेंट नहीं देखा गया था। बच्चे को बाहर निकालने से 36 घंटे पहले तक किसी प्रकार की हलचल नहीं थी। ऐसे में मासूम की मौत 10 दिसंबर की सुबह होने की आशंका जताई गई है।
मासूम को बाहर निकालते ही एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस एंबुलेंस से हॉस्पिटल ले जाया गया था। मां गुड्डी देवी रोते हुए चीखने लगी और बेटे को देखने की जिद करने लगी थी। पति जगदीश प्रसाद मीणा समेत रिश्तेदारों ने उसे समझाया कि उसे इलाज के लिए हॉस्पिटल लेकर गए है, घर में इलाज नहीं हो सकता था। यह सुनते-सुनते ही मां बेसुध होकर बेहोश हो गई थी।
बेटा आर्यन भूखा और प्यासा था, पिता जगदीश प्रसाद मीणा बोरवेल के पास रोजाना बोतल में गर्म दूध लेकर बैठे रहे थे। रेस्क्यू टीम के इनकार करने के बाद वह सुबह होते ही दूर चले गए और फिर घर से गर्म दूध करवाकर वापस लौटे थे। उन्हें उम्मीद थी कि बेटा आर्यन बाहर आएगा और वह भूखा होगा, जिसे दूध की जरूरत होगी। लेकिन 57 घंटे बाद उनकी उम्मीद टूट गई।
आर्यन सोमवार (नाै दिसंबर) को दोपहर तीन बजे दांगड़ा ढाणी स्थित अपने घर से करीब 100 फीट दूर बोरवेल में गिर गया था। वह मां के साथ ही खेल रहा था, लेकिन जब तक उसकी मां उसे पकड़ पाती वह बोरवेल में फिसल गया था। परिवार ने ये बोरवेल करीब तीन साल पहले खुदवाया था। हालांकि, इसमें मोटर फंसने के कारण यह काम नहीं आ रहा था, लेकिन इसे बंद नहीं करवाया गया था।
—————
(Udaipur Kiran) / रोहित